Mundan After Death: क्या आप जानते है कि हिंदू धर्म में मौत के बाद सिर क्यों मुंडवाया जाता है? कुछ विद्वानों का कहना है कि हिंदू धर्म में जन्म से लेकर मृत्यु तक 16 श्रृंगार किए जाते हैं। 16वां श्रृंगार मृत्यु के बाद किया जाता है। ऐसा बताया जाता है कि व्यक्ति की मौत के बाद उसकी आत्मा की शांति के लिए अंतिम संस्कार किया जाता है। कुछ विद्वानों का ऐसा कहना है कि जब तक व्यक्ति का अंतिम संस्कार नहीं होता है तब तक उसकी आत्मा को शांति नहीं मिलती है। इसी वजह से हमारे हिंदू धर्म में अंतिम संस्कार को विधि विधान से किया जाता है।
अंतिम संस्कार के बाद सिर क्यों मुड़वाया जाता है?
अब बात करते हैं कि अंतिम संस्कार के बाद सिर क्यों मुंडवाया जाता है। बता दें कि मुंडन संस्कार ही अंतिम संस्कार का हिस्सा होता है। जिस परिवार में मृत्यु होती है, उसके पूरे परिवार के सदस्यों का सिर मुंडवाया जाता है। अंतिम संस्कार के बाद मुंडन संस्कार को मुख्य माना जाता है।
गरुड़ पुराण में क्या कहा गया है?
गरुड़ पुराण के अनुसार कुछ विद्वानों का कहना है कि जन्म के बाद से ही 10 दिन सूतक लग जाते हैं। अब आपके मन में सवाल आ रहा होगा कि अब ये सूतक क्या होता है? सूतक एक हिन्दू धार्मिक अवधारणा है, जो जन्म और मृत्यु के बाद एक निश्चित अवधि के लिए मनुष्य को अशुद्ध मानती है। इस अवधि के दौरान व्यक्ति को कुछ सामाजिक और धार्मिक कार्यों से प्रतिबंधित किया जाता है।
जन्म के बाद
पुत्र के जन्म के बाद 10 दिन तक सूतक होता है। वहीं, कन्या के जन्म पर 16 दिन का सूतक लगता है।
मृत्यु के बाद
ऐसा कहा जाता है कि अगर खुद के घर परिवार में मृत्यु होती है तो 10 दिन के लिए सूतक लगता है। वहीं, अगर किसी सगे संबंधी के घर में मौत होती है तो 3 दिन के लिए सूतक लगता है।
सूतक के दौरान क्या करना चाहिए?
जब तक सूतक लगा होता है, तबतक प्रतिदिन स्नान करना चाहिए। नए वस्त्र नहीं पहनने चाहिए। बिना किसी छौंक का सादा भोजन करना चाहिए और मांस, मदिरा और लहसुन-प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए। पूजा-पाठ, मंदिर दर्शन और यज्ञ आदि धार्मिक क्रियाकलापों में भाग नहीं लेना चाहिए।