Kartik Swami Mandir : उत्तराखंड पर्यटन विकास की ओर से क्रौंच पर्वत स्थित कार्तिक स्वामी मंदिर में बुधवार को भव्य 108 बालमपुरी शंख पूजा और हवन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। यह मंदिर रुद्रप्रयाग पोखर मार्ग पर कनक चौरी गांव के पास 3050 मीटर की ऊंचाई पर क्रौंच पहाड़ी की चोटी पर स्थित है। यह उत्तर भारत का एकमात्र ऐसा मंदिर है, जहां कार्तिकेय बाल्य रूप में विराजमान हैं।
उत्तराखंड सरकार के विशेष कार्याधिकारी (ओएसडी) भाष्कर खुल्बे, अपर सचिव यूकाडा सी रविशंकर, जिलाधिकारी सौरभ गहरवार और दक्षिण भारत से आए शिवाचार्य व गुरुजनों ने कार्तिक स्वामी मंदिर में पूजा-अर्चना की। विशेष कार्याधिकारी भाष्कर खुल्बे ने कहा कि कार्तिक स्वामी मंदिर में 108 बालमपुरी शंख से पूजा और दक्षिणा वर्त से स्वामी कार्तिकेय का भव्य जलाभिषेक किया गया। उन्होंने कहा कि भगवान के आशीर्वाद का प्रतीक है कि हम सब यहां पर आज उपस्थित हैं। भगवान का आशीर्वाद हमें अभी तक मिला है, आगे भी मिलता रहेगा।
अपर सचिव यूकाडा सी रविशंकर ने बताया कि पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार भगवान शिव ने दोनों पुत्रों कार्तिकेय और गणेश की परीक्षा ली। भगवान शिव ने कहा कि दोनों में से जो भी सबसे पहले ब्रह्मांड का चक्कर लगाकर वापस आएगा उसकी पूजा सभी देवी-देवताओं में सबसे पहले होगी। इसके बाद कार्तिकेय ब्रह्मांड का चक्कर लगाने चल दिए।
भगवान गणेश ने माता पार्वती और भगवान शिव के चारों ओर चक्कर लगाकर कहा कि मेरे लिए आप ही पूरा ब्रह्मांड हैं, इसलिए आपकी परिक्रमा करना मेरे लिए ब्रह्मांड का चक्कर लगाने के समान है। वहीं, ब्रह्मांड का पूरा चक्कर लगाने के बाद जब कार्तिकेय माता पार्वती और भगवान शिव के पास पहुंचे को देखा कि गणेश पहले से ही वहां खड़े हैं। सारी बात पता चलने पर गणेश को श्रेष्ठ पद दिया गया। इसके बाद कार्तिकेय अपनी मां पार्वती से नाराज होकर यहां पर तपस्या की। फिर कार्तिकेय दक्षिण भारत चले गए, जहां उनकी मुरगन स्वामी के नाम से विशेष रूप से आराधना की जाती है।