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निकाय चुनाव में नदी किनारे बसी बस्तियों पर चलेगा Dhami का Bulldozer

Rispana River | Uttarakhand Government | CM Dhami | Congress | BJP |

Rispana River : देहरादून में एनजीटी और हाईकोर्ट के निर्देश के बाद नगर निगम ने अवैध बस्तियों पर कार्रवाई करते हुए कुल 129 अवैध बस्तियों को चिह्नित किया है। इसमें से पहले चरण में 27 अवैध बस्तियों को हटाने का काम किया जाएगा। इस पर सियासत अब गरमाने लगी है। आगामी 30 जून तक रिस्पना नदी से सटी मलिन बस्तियों को हटाने का कांग्रेस ने विरोध किया है। इसको लेकर कांगेस ने बीजेपी पर हमला बोला है।

उत्तराखंड में निकाय चुनाव आते ही राजनीतिक माहौल गरमा गया है। रिस्पना नदी के किनारे बसी मलिन बस्तियों को लेकर बीजेपी और कांग्रेस में सियासी घमासान शुरू हो गया है। दरअसल, नगर निगम की टीम अब नदी किनारे अवैध अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई करने वाली है। इस कार्रवाई में 129 अवैध बस्तियों को उजाड़ दिया जाएगा। इसमें तकरीबन हजार लोगों के आशियाने उजड़ जाएंगे। नगर निगम की टीम ने इसकी डेडलाइन भी तय कर ली है। एनजीटी ने अपने हालिया आदेश में 30 जून तक अतिक्रमण को हटाने का आदेश दिया है। चुनावी माहौल के बीच मलिन बस्तियों के मुद्दे पर बीजेपी और कांग्रेस भी आमने-सामने आ गई है।

एनजीटी और हाईकोर्ट के निर्देश पर नगर निगम ने अतिक्रमण और साल 2016 के बाद की अवैध बस्तियों को हटाने के लिए अपनी कमर कस ली है। रिस्पना नदी से सटी कुल 129 बस्तियों को चिंहित किया गया है। इसमें से पहले चरण में 27 अवैध बस्तियों को हटाया जाएगा। नगर निगम की टीम ने अवैध बस्तियों में रहने वाले लोगों को नोटिस भेजने की बात कही है।

इस मामले में पूर्व मेयर और मौजूदा समय में बीजेपी के धर्मपुर से विधायक विनोद चमोली ने साफ कहा कि मलिन बस्तियों पर कोई संकट नहीं है। एनजीटी के आदेश में सिर्फ 2016 के बाद हुए नए निर्माण पर ही सवाल उठाए गए हैं। वहीं, कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता शीशपाल बिष्ट का कहना है कि मलिन बस्तियों पर सरकार की कोई स्पष्ट नीति नहीं है। वह दोहरा मापदंड अपना रही है। निकाय चुनाव में डरा-धमकाकर वोट हासिल करना चाहती है। लोगों को उजाड़ने से पहले सरकार को विस्थापन करना चाहिए और उन अधिकारियों व नेताओं के खिलाफ भी कार्रवाई करनी चाहिए, जिनके कार्यकाल में यह अतिक्रमण हुआ है।

नगर आयुक्त गौरव कुमार ने कहा कि कुछ लोगों द्वारा उसमें प्रतिवेदन दिया जा रहा है। इसमें कुछ साक्ष्य दिए गए हैं। कहा कि हमने जो अतिक्रमण चिह्नित किए थे, वह 11 मार्च 2016 के बाद के किए गए हैं। उन्होंने कहा कि जो न्यायालय में समयसीमा दाखिल की गई है, वह 30 जून तक की है।


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