भारतीय जनता पार्टी के पूर्व सांसद राम विलास दास वेदांती ने कहा अयोध्या राम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा समारोह पूरे समाज का एक कार्यक्रम है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह द्वारा इस महीने के अंत में होने वाले समारोह को ‘बीजेपी/आरएसएस कार्यक्रम’ करार दिए जाने के बाद उन्होंने कांग्रेस पर निशाना साधा।
पूर्व बीजेपी सांसद ने कहा कि राम मंदिर में प्राण-प्रतिष्ठा में शामिल होने के निमंत्रण को अस्वीकार करने के बाद कांग्रेस ने ‘हिंदुत्व, सनातन धर्म और राष्ट्रवाद’ का बहिष्कार किया है। वेदांती ने कहा “यह किसी पार्टी का नहीं बल्कि पूरे समाज का कार्यक्रम है। किसी को रोका नहीं गया है और हर पार्टी को निमंत्रण दिया गया है। यह एक धार्मिक, भक्तिपूर्ण, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक कार्यक्रम है। कांग्रेस ने हिंदुत्व, सनातन धर्म और राष्ट्रवाद का बहिष्कार किया है।”
वेदांती ने आगे कांग्रेस पर हमला बोलते हुए कहा “लोगों ने कांग्रेस को सही ढंग से पहचान लिया है कि वे धर्म विरोधी, हिंदू विरोधी और सनातन विरोधी हैं। लोगों को ऐसी कांग्रेस का समर्थन नहीं करना चाहिए, पार्टी ने खुद ही यह साबित कर दिया है।‘’
दिग्विजय सिंह ने कहा कि अयोध्या के मंदिर का समारोह बीजेपी और आरएसएस के कार्यक्रम जैसा बना दिया गया है। सिंह ने कहा “वहां कौन जा रहा है? न केवल कांग्रेस, बल्कि शिवसेना, राजद, सीपीआई (एम), जेडीयू, टीएमसी जिन्हें निमंत्रण मिला है, वे वहां नहीं जा रहे हैं। हमें मंदिर जाने में खुशी होगी, लेकिन मंदिर जाने दीजिए निर्माण पूरा किया जाए। उन्होंने इसे भाजपा और आरएसएस का कार्यक्रम बना दिया है।”
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के प्रमुख बनाए गए वीएचपी नेता चंपत राय का जिक्र करते हुए कांग्रेस नेता ने कहा ”चंपत राय वीएचपी के प्रवर्तक हैं, जिन्होंने जमीन घोटाला किया है। इस पर पीएम चुप क्यों हैं? क्या चंपत राय का कहना है, ‘अगर शंकराचार्य नहीं आना चाहते हैं, तो उन्हें न आने दें। क्या यह मंदिर आपका है? यह राष्ट्रीय मंदिर है और जो भी इच्छुक हो वह दर्शन करने आ सकता है। उन्होंने यह भी कहा कि यह आयोजन चुनावी मुद्दा बनाकर फायदा उठाने की कुटिल कोशिश है।‘’
कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह ने भी सवाल किया कि निर्मोही अखाड़े के अधिकार क्यों छीने गए हैं। उन्होंने कहा “निमंत्रण को भूल जाइए। हमें इस बात पर आपत्ति है कि राम मंदिर का निर्माण पूरा नहीं हुआ है। जब निर्माण ही पूरा नहीं हुआ है, तो ‘प्राणप्रतिष्ठा’ किस बात की? यह पवित्र ग्रंथों और धर्म के खिलाफ है। यह इसे चुनावी मुद्दा बनाकर फायदा उठाने की कुटिल कोशिश है।”