Kanwar Yatra : हरिद्वार में जिला प्रशासन द्वारा लागू किए गए कांवड़ मेले के दौरान अपने व्यवसाय की पहचान बताने के नियम का अखाड़ा परिषद ने स्वागत किया है। अखाड़ा परिषद ने इसे सराहनीय बताया। अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्री महंत रविंद्रपुरी का कहना है कि हरिद्वार जिला प्रशासन द्वारा कांवड़ मेले के दौरान कोई भी दुकानदार हो या फिर रेडी पटरी वाला उसे अपनी पहचान बतानी होगी यह निर्णय सराहनीय है।
अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्री महंत रविंद्रपुरी का कहना है कि कई लोग अपनी कमाई के चक्कर में कांवड़ियों का धर्म भ्रष्ट कर देते हैं। इतना ही नहीं, कई बार देखा गया है कि सोशल मीडिया पर कई वीडियो वायरल होते हैं, जिसमें कभी थूकते हुए तो कभी कुछ करते हुए वीडियो सामने आते हैं। ऐसे में हरिद्वार जिला प्रशासन द्वारा लिया गया निर्णय सराहनीय है। इसे हमेशा के लिए लागू कर देना चाहिए।
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उन्होंने कहा कि अभी कुछ दिन पहले ही वह हरिद्वार से बाहर गए थे। उनका चाय पीने का मन किया। इस दौरान उन्होंने देखा कि एक जगह पर काके की हट्टी लिखा हुआ था, लेकिन जब वह उस दुकान के अंदर गए तो देखा कि मालिक किसी और धर्म का ही है। इसके बाद वह वहां से चले गए। उन्होंने कहा कि यदि उस दुकानदार ने अपनी पहचान लिखी होती तो मैं वहां जाता भी नहीं। उन्होंने कहा कि आपसी भाईचारा अपनी जगह पर है, लेकिन यह निर्णय सराहनीय और इसे पूरे देश में लागू होना चाहिए।
कांवड़ यात्रा रूट पर ढाबे वालों को अपना नाम करना होगा प्रकाशित
उत्तर प्रदेश की तरह अब उत्तराखंड में भी कांवड़ यात्रा के रूट पर होटल और ढाबे वालों को रेट लिस्ट के साथ ही अपना नाम भी लिखना होगा। एडीजी लॉ एंड ऑर्डर एपी अंशुमान ने बताया कि लगातार कांवड़ियों की तरफ से कांवड़ पटरी पर शिकायतें सामने आ रही थीं। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में होटल, रेस्टोरेंट और छोटे कारोबारियों के खिलाफ सत्यापन अभियान चलाया जा रहा है। इसके साथ ही कांवड़ मार्ग पर जो होटल, ढाबे, रेस्तरां हैं या जो रेड़ी पटरी वाले हैं, उन्हें उनके मालिक का नाम अनिवार्य रूप से लिखना होगा। ऐसा न करने पर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।
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रेहड़ी लगाने वालों के पहचान पत्र जारी करने के निर्देश
उत्तराखंड में अब कोई भी व्यक्ति बिना पहचान के रेहड़ी और ठेली नहीं लगा पाएगा। इसको लेकर सीएम पुष्कर सिंह धामी ने शहरी विकास विभाग को निर्देश दिए हैं कि वह जल्द से जल्द नगर इकाई क्षेत्रों में रेहड़ी और ठेली लगाने वालों के पहचान पत्र जारी करे। वहीं, ऋषिकेश में भी यह प्रक्रिया निगम ने शुरू कर दी है।
ऋषिकेश नगर निगम का दावा है कि जल्द ही इस प्रक्रिया को पूरा कर लिया जाएगा। पहचान पत्र बनाने की प्रक्रिया की जानकारी मिलने पर नगर क्षेत्र के रेहड़ी फड़ वालों में भी उत्साह देखा जा रहा है। उनका मानना है कि पहचान पत्र बनने के बाद उन्हें दिक्क़तों का सामना नहीं करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि नहीं तो इससे पूर्व बिना पहचान उन्हें रोजगार के लिए ठेली लगाने में भी दिक्क़तें आ रही थीं।
बता दें, तीर्थनगरी ऋषिकेश पर्यटन क्षेत्र होने के चलते यहां छोटा मोटा व्यापार करने के लिए हजारों की तादात में कई बाहरी प्रांत के लोग रेहड़ी फड़ लगाते हैं। इस कारण उनकी पहचान करना भी मुश्किल हो जाता है। निगम का मानना है कि पहचान पत्र जारी किए जाने के बाद अनावश्यक अतिक्रमण पर भी अंकुश लग सकेगा।