Martyr Basudev Singh: लहू की आखिरी बूंद तक अपना फर्ज निभाते हैं… ये पहाड़ों के वो जांबाज हैं… जो जान देकर भी माटी का कर्ज चुकाते हैं… तिरंगे में लिपटकर देवभूमि का एक और बाहदुर बेटा अपने घर लौटा है। पहाड़ों की माटी के लाल बसुदेव सिंह शहादत देकर अमर हो गए। शहीद बसुदेव सिंह परोडा का पार्थिव शरीर जब गैरसैंण में उनके पैतृक गांव सारकोट पहुंचा तो शहीद को अंतिम विदाई देने के लिए जन सैलाब उमड़ पड़ा। वीर सपूत की अंतिम यात्रा में लोगों का भारी हुजूम देखने को मिला। लोगों ने नम आंखों से माटी के लाल को अंतिम विदाई दी। इस दौरान पूरा गांव भारत माता की जय और शहीद जवान अमर रहे के नारों से गूंज उठा।
30 साल के हवलदार बसुदेव सिंह 16 अगस्त को लद्दाख क्षेत्र में सैन्य युद्धाभ्यास के दौरान शहीद हो गए थे। एक महत्वपूर्ण एक्सरसाइज क्लोजिंग के दौरान हुए धमाके से गिरे शेल्टर की चपेट में आने से शहीद हुए बसुदेव सिंह चमोली में गैरसैंण के सारकोट गांव के रहने वाले थे। बसुदेव सिंह साल 2010 में भारतीय सेना में शामिल हुए थे। वो इन दिनों लेह में इंडियन आर्मी की बंगाल इंजीनियरिंग की 55 रेजिमेंट में तैनात थे।
हवलदार बसुदेव सिंह की शहादत के बाद उनका पार्थिव शरीर सेना के विशेष वाहन से उनके पैतृक गांव सारकोट लाया गया। जैसे ही शहीद को तिरंगे में लिपटा देखा परिजनों और ग्रामीणों के आंसू निकल आए। बसुदेव का पार्थिव शरीर देख उनकी पत्नी, बेटा-बेटी, माता-पिता और बहन बिलख उठे। रक्षाबंधन पर जब बहनें अपने भाई की कलाइयों पर रक्षा सूत्र बांध रही थीं, उस दिन शहीद बसुदेव सिंह की बहनें अपने भाई के बिछड़ने के गम में मातम मना रही थीं, जिसे देख ग्रामीणों की आंखें नम हो गईं। परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल हो गया। परिजनों और स्थानीय लोगों के साथ-साथ सेना के अफसरों ने भी शहीद जवान बसुदेव सिंह को श्रद्धांजलि अर्पित की।
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शहीद जवान बसुदेव सिंह की अंतिम यात्रा में सैकड़ों की संख्या में लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। अंमित यात्रा में सेना के अफसर और सैनिक भी शामिल हुए। 15 सैनिकों ने बलिदानी बेटे को सशस्त्र सलामी दी। इसके बाद शहीद जवान बसुदेव सिंह का उनके पृतक घाट मोटूगाड में पूरे राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया गया। भाई जगदीश सिंह ने शहीद को मुखाग्नि दी। शहीद के परिवार को अपने बेटे की शहादत पर गर्व है। वतन की माटी पर मर मिटने वाले बलिदानी बासुदेव सिंह लोगों के दिल में हमेशा ज़िंदा रहेंगे। पूरा देश बलिदानी बेटे बासुदेव सिंह की शहादत को सलाम करता है।
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