Maa Kunjapuri Shaktipeeth: मां सती के 52 शक्तिपीठों में से 51 भारत में हैं। इसमें से 3 शक्तिपीठ कुंजापुरी, सुरकंडा और चंद्रबदनी टिहरी जिले में स्थित हैं। शारदीय नवरात्रि पर इन शक्तिपीठों का अलग महत्व है। कुंजापुरी शक्तिपीठ में मां सती के मातृत्व स्वरूप के दर्शन होते हैं।
कुंजापुरी शक्तिपीठ के मुख्य पुजारी राजेन्द्र भंडारी ने बताया कि टिहरी जिले के नरेन्द्र नगर की सबसे ऊंची पहाड़ी पर प्रसिद्ध मां कुंजापुरी शक्तिपीठ स्थित है। स्कन्द पुराण के अनुसार, राजा दक्ष द्वारा जब प्रजापति बनने के बाद हरिद्वार में विशाल यज्ञ का आयोजन किया गया तो उन्होंने भगवान शिव को नहीं बुलाया। इससे आक्रोशित भगवान शिव की पत्नी सती ने प्रजापति दक्ष के यज्ञ में अपनी आहुति दे दी। जब भगवान शिव को पता चला तो वो क्रोध में वहां पहुंचे और सती के शरीर को उठाकर तांडव करने लगे। इसके बाद कंधे पर सती के शरीर को लेकर चले गए।
पुजारी राजेन्द्र भंडारी ने बताया कि सती के शरीर के टुकड़े जहां-जहां गिरे, वह स्थान शक्तिपीठ के रूप में जाने जाते हैं। इस तरह 52 जगहों पर सती के शरीर के टुकड़े गिरे और 52 शक्तिपीठ बन गए। इसमें से इस स्थान पर मां सती का कुंज गिरा था, इसलिए यह मंदिर कुंजापुरी शक्तिपीठ के रूप में जाना जाने लगा।
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कुंजापुरी शक्तिपीठ के मुख्य पुजारी राजेन्द्र भंडारी ने कहा कि कुंजापुरी शक्तिपीठ में मां सती के मातृत्व स्वरूप के दर्शन होते है। यह मान्यता है कि यहां पहुंचने वाले भक्त अगर देवी मां की पुत्र के रूप में पूजा-अर्चना करते हैं तो उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं और मां की विशेष कृपा उन्हें प्राप्त होती है। दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालुओं का भी कहना है कि नवरात्रि में कुंजापुरी शक्तिपीठ पहुंचकर उन्हें शांति मिलती है। परिवार की सुख-समृद्धि के लिए मां से प्रार्थना की है।
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