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इस मंदिर में चिट्ठी से पूरी होती है मनोकामना, जानें इतिहास और मान्यताएं

Golju Devta Temple: उत्तराखंड में एक ऐसा मंदिर स्थित है, जहां चिट्ठी लिखने से लोगों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। जानें, इतिहास और मान्यताएं...
Golju Devta Temple

Golju Devta Temple: उत्तराखंड को देवभूमि कहा गया है। यहां कण-कण में देवी- देवताओं का वास माना जाता है। हिमालय की गोद में बसे इस सबसे पावन क्षेत्र को मनीषियों की कर्मभूमि और तपस्थली कहा जाता है। उत्तराखंड में देवी-देवताओं के कई चमत्कारिक मंदिर भी हैं, जहां लोगों की भारी आस्था भी है। इन मंदिरों की प्रसिद्धि भारत ही नहीं, बल्कि विदेशों तक फैली हुई है। इन्हीं में से एक मंदिर नैनीताल जिले के घोड़ाखाल गोल्जू देवता का मंदिर है। गोल्जू देवता को स्थानीय मान्यताओं में न्याय का देवता कहा जाता है।

मनोकामना पूरी होने पर बांधते हैं घंटी

मान्यता है कि भक्त इस मंदिर में आकर न्याय के देवता भगवान गोल्जू से जो भी गुहार लगाते हैं, वह जरूर पूरी होती है। इसके लिए भक्त चिट्ठी लिखकर अर्जी भी लगाते हैं और मनोकामना पूर्ण होने पर मंदिर में घंटी और चुनरी भी चढ़ाते हैं।

भव्य और आकर्षक है न्याय देवता का मंदिर

उत्तराखंड में गोल्जू देवता को ‘गोल्जू महाराज’ और न्याय देवता के रूप में पूजा जाता है। घोड़ाखाल मंदिर नैनीताल जिले के भवाली से लगभग पांच किलोमीटर की दूर एक सुंदर पहाड़ी क्षेत्र है। गोल्जू देवता का मंदिर भव्य और आकर्षक है।

क्या है मंदिर का इतिहास?

मान्यता है कि घोड़ाखाल मंदिर में गोल्जू देवता की स्थापना का श्रेय महरागांव की एक महिला को दिया जाता है। यह महिला वर्षो पूर्व अपने परिजनों द्वारा सतायी जाती थी, जिससे उसने चम्पावत अपने मायके जाकर गोल्जू देवता से न्याय हेतु साथ चलने की प्रार्थना की, जिसके बाद गोल्जू देवता उस महिला के साथ घोड़ाखाल आ गए और मंदिर में रहने लगे।

कागज में लिखकर टांगते हैं मन्नतें

घोड़ाखाल मंदिर की विशेषता यह है कि श्रद्धालु मंदिर में अपनी-अपनी मन्नतें कागज में लिखकर एक स्थान पर टांगते हैं। माना जाता है कि जब मन्नत पूरी हो जाती है तो भक्त मंदिर आकर उपहार के रूप में घंटियां चढ़ाते हैं। गोल्जू देवता कुमाऊं के लोगों के स्थानीय देवता हैं। उन्हें भगवान शिव का अवतार माना जाता है।

गोल्जू देवता के हैं 28 पीठ

गोल्जू देवता मंदिर के मुख्य पुजारी कैलाश चंद्र जोशी के मुताबिक, भगवान गोल्जू का अवतार चंपावत में इंसान के रूप में हुआ। लोगों ने उन्हें देवता के रूप में पूजा। गोल्जू देवता के 28 पीठ हैं, जहां उन्होंने अपना दरबार लगाकर लोगों को न्याय दिलाने का काम किया, जिसके चलते आज कुमाऊं के लोग गोल्जू देवता को ‘न्याय का देवता’ के रूप में पूजते हैं। यहां जो भी भक्ति और श्रद्धा के साथ अपनी चिट्ठी और अर्जी लगाता है तो गोल्जू देवता उसकी अर्जी की सुनवाई कर न्याय करते हैं।


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