Supreme Court Stays Big Hotel Project: सुप्रीम कोर्ट ने जंगलों की आग को रोकने में नाकाम रहने पर उत्तराखंड सरकार को दोषी ठहराया था। अब शीर्ष अदालत ने भीमताल-मुक्तेश्वर क्षेत्र में एक बड़े होटल प्रोजेक्ट पर रोक लगा दी है। दरअसल, कोर्ट में दाखिल एक याचिका में आरोप लगाया गया है कि इससे बड़े पैमाने पर पेड़ों की कटाई होगी।
उत्तराखंड हाईकोर्ट के फैसले को दी गई चुनौती
न्यायमूर्ति एएस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ ने बीरेंद्र सिंह द्वारा दायर याचिका को स्वीकार कर लिया। इस याचिका में उत्तराखंड हाईकोर्ट (Uttarakhand High Court) द्वारा प्रोजेक्ट को दी गई हरी झंडी को चुनौती दी गई थी। पीठ ने जिलिंग एस्टेट में साइट पर किसी भी प्रकार के पेड़ की कटाई और निर्माण गतिविधियों पर रोक लगाते हुए प्रोजेक्ट प्रस्तावक को 6 हफ्ते के भीतर याचिका पर अपनी प्रतिक्रिया दाखिल करने को कहा है। इस मामले की अगली सुनवाई अब 12 अगस्त को होगी।
2006 के पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना के तहत प्रस्तावक को अनिवार्य पूर्व पर्यावरणीय मंजूरी नहीं मिलने के बावजूद ‘सिंगल-विंडो क्लीयरेंस’ के आधार पर साइट पर निर्माण गतिविधियों की अनुमति देकर हाई कोर्ट ने गलती की।
वनों की कटाई से पर्यावरण को होगा नुकसान
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वकील पीबी सुरेश और विपिन नायर ने तर्क दिया कि हाईकोर्ट ने 2006 के पर्यावरण प्रभाव आकलन अधिसूचना के तहत प्रस्तावक को अनिवार्य पूर्व पर्यावरणीय मंजूरी नहीं मिलने के बावजूद ‘सिंगल-विंडो क्लीयरेंस’ के आधार पर साइट पर निर्माण गतिविधियों की अनुमति देकर गलती की है। उन्होंने कहा कि अगर होटल परियोजना के लिए वनों की कटाई की अनुमति दी गई तो इससे पर्यावरण को नुकसान होगा।
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हाईकोर्ट ने दी थी होटल बनाने की अनुमति
इससे पहले, पीठ ने शुक्रवार को कहा था कि हाईकोर्ट द्वारा 23 नवंबर 2022 को पारित अंतरिम आदेश अगले आदेश तक लागू रहेगा। हाईकोर्ट ने 9 अप्रैल के अपने फैसले में 23 नवंबर 2022 को लगाई गई अंतरिम रोक को हटा दिया था और होटल बनाने की अनुमति दे दी थी। अदालत ने कहा कि प्रतिवादियों की भूमि का कोई भी हिस्सा वन क्षेत्र में नहीं आता।
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