PMLA Act: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को बड़ी टिप्पणी की। शीर्ष अदालत ने कहा कि अगर स्पेशल कोर्ट ने शिकायत पर संज्ञान लिया है तो प्रवर्तन निदेशालय (ED) किसी आरोपी को पीएमएलए के प्रावधानों के तरह गिरफ्तार नहीं कर सकती है। उच्चतम न्यायालय ने अपने फैसले में साफ कर दिया गया है कि अगर मनी लॉन्ड्रिंग मामले में किसी आरोपी को ईडी ने जांच के दौरान गिरफ्तार नहीं किया है और पीएमएलए कोर्ट चार्जशीट यानी आरोप पत्र पर संज्ञान लेकर उसे समन जारी करता है तो उसे कोर्ट में पेश होने के बाद जमानत की दोहरी शर्त को पूरा करने की जरूरत नहीं है।
अगर इस स्थिति में ईडी आरोपी व्यक्ति को हिरासत में लेना चाहती है तो उसे कोर्ट से आरोपी की हिरासत की मांग करनी होगी। अगर कोर्ट के सामने ईडी ऐसे पुख्ता सबूत पेश करती है, जिससे यह साबित हो जाए कि आरोपी से पूछताछ की जरूरत है, तो कोर्ट उसे आरोपी की कस्टडी दे देगी।
आरोपी को जमानत मिलना मुश्किल
बता दें कि प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट यानी PMLA के तहत कई नेताओं को गिरफ्तार किया गया है। इस एक्ट में जमानत की दोहरी शर्त का प्रावधान है, जिसके चलते आरोपी को जमानत मिलना काफी मुश्किल होता है।
PMLA क्या है?
प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट (PMLA), 2002 संसद द्वारा पारित एक अधिनियम है। इसका मकसद काले धन को सफेद करने से रोकना है। यह अधिनियम एक जुलाई 2005 से लागू हुआ, जिसके बाद इसमें 2005, 2009 और 2012 में संशोधन किए गए। इस अधिनियम के तहत, अगर कोई व्यक्ति मनी-लॉन्ड्रिंग का दोषी पाया गया तो उसे तीन से सात साल तक की सजा होती है। हालांकि, शीर्ष अदालत ने एक फैसले में स्पष्ट किया था कि ईडी के अधिकारी पुलिस अधिकारियों के समकक्ष नहीं हैं। इसलिए वे पीएमएलए के तहत गिरफ्तारी नहीं कर सकते हैं। अदालत का यह फैसला वी. सेंथिल बालाजी और छत्तीसगढ़ में शराब सिंडिकेट रैकेट से जुड़े एक मामले में आया।