Uttarakhand Forest Fire : उत्तराखंड में आग की घटनाएं विकराल रूप ले रही हैं। आग के लगातार बढ़ रहे खतरे के बाद घबराई धामी सरकार ने उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में कृत्रिम बारिश कराने का फैसला लिया है। उत्तराखंड की मुख्य सचिव राधा रतूड़ी के मुताबिक, उत्तराखंड में कृत्रिम बारिश आईआईटी कानपुर की मदद से कराई जाएगी। पायलट प्रोजेक्ट के तहत सबसे पहले पौड़ी में कृत्रिम बारिश कराई जाएगी। इसके साथ ही धामी सरकार ने जंगल में फैली आग पर काबू पाने के लिए एयरफोर्स से भी मदद मांगी है।
राधा रतूड़ी के मुताबिक, एयरफोर्स के हेलीकॉप्टर उत्तराखंड के श्रीनगर से पानी लेकर उड़ान भरेंगे और जहां-जहां जंगलों में आग लगी है, वहां-वहां पानी का छिड़काव कराया जाएगा। आग की वजह से उत्तराखंड की खराब हुई आबोहवा के मद्देनजर खेतों में पराली जलाने, शहरों व देहातों में कूड़ा जलाने और खेतों में आग लगाने पर तत्काल रोक लगा दी गई है। मुख्य सचिव राधा रतूड़ी के मुताबिक, अगर किसी ने नियमों का उल्लंघन किया तो उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
रुद्रप्रयाग के जंगलों में भयावह आग लगी हुई है। आग लगने के कारण आसमान में धुआं ही धुआं है। जंगलों में लगी आग विकराल रूप लेती जा रही है। अभी तक रुद्रप्रयाग जनपद में 52 वनाग्नि की घटनाएं हो चुकी हैं और 39 हेक्टेयर जंगल जलकर खाक हो गए। वन विभाग की ओर से आग पर काबू पाने के प्रयास किये जा रहे हैं।
जंगल की आग से अब तक 5 लोगों की हो चुकी मौत
जंगल की आग रिहायशी इलाकों तक पहुंचे के कारण लोगों की जान आफत में पड़ गई है। आग की चपेट में आने से अब तक 5 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। आग में झुलसने से अल्मोड़ा में 28 साल की एक महिला मजदूर की मौत हो गई है। ये महिला जंगल की आग बुझाने की कोशिश में बुरी तरह झुलस गई थी। इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। पिछले हफ्ते उसी आग में जलने से महिला के पति और दो अन्य लोगों की जान चली गई थी। पौड़ी में जंगलों की आग खेतों तक पहुंची तो 65 वर्षीय बुजुर्ग महिला ने आग को बुझाने की कोशिश की। इसी दौरान ये महिला आग में बुरी तरह जल गई। महिला को जिला अस्पताल के बाद ऋषिकेश एम्स रेफर किया गया, लेकिन महिला का जान नहीं बच पाई।
लोगों को सांस लेने में हो रही तकलीफ
जंगल की आग का ऐसा ही विकराल रूप रुद्रप्रयाग में देखने को मिल रहा है। जिले में अब तक 52 वनाग्नि की घटनाएं सामने आई हैं। इन घटनाओं में 39 हेक्टेयर वन भूमि क्षेत्र को नुकसान हुआ है। आग के कारण आसमान में धुआं ही धुआं है, जिससे लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो रही है। पेजजल स्रोत सूख रहे हैं। साथ ही तापमान में वृद्धि हो रही है। जंगल की इस आग का पर्यावरण पर बुरा असर पड़ रहा है। रुद्रप्रयाग में जंगलों की आग लगाने के आरोप में तीन लोगों को रंगे हाथों गिरफ्तार किया गया है। वन विभाग आग से निपटने के लिए लोगों को जागरूक भी कर रहा है।
पिछले 24 घंटे में जंगलों में आग की 24 नई घटनाएं हुई हैं। इनमें कुमाऊं मंडल की 22 घटनाएं शामिल हैं। आग की इन घटनाओं में 36.5 हेक्टेयर वन क्षेत्र जल गया। इस फायर सीजन में अब तक आग की 910 घटनाएं हुई हैं। इसमें 1144 हेक्टेयर से ज्यादा जंगल जलकर राख हो चुका है। जंगल की आग से कुमाऊं मंडल सबसे ज्यादा प्रभावित है। यहां अब तक 482 आग की घटनाएं दर्ज की गई हैं।
आग पर काबू नहीं पा सका वन विभाग
रुद्रप्रयाग के जंगल लगातार आग की चपेट में आते जा रहे हैं। वनों में लगी आग के कारण आम जनता का जीना मुश्किल हो गया है। वन विभाग भी आग पर काबू पाने में विफल रहा है। आग लगने से प्राकृतिक वन सम्पदा जलकर खाक हो रही है। वन विभाग ने आग लगाने वाले तीन लोगों को भी मौके से गिरफ्तार किया है।
तीन दिन से लगी हुई है आग
हरियाली वैली में तीन दिनों से आग लगी हुई है। यहां चारों तरफ छाई धुंध के कारण आस-पास के गांव भी नहीं दिखाई दे रहे हैं। सांस की समस्या से लोग परेशान हैं। शरारती तत्वों की ओर से हरियाली वैली में आग लगाए जाने से मिश्रित वनों को भी नुकसान पहुंच रहा है।
आग लगने से सूख रहे पेयजल स्त्रोत
पर्यावरणविद देवराघवेन्द्र बद्री ने बताया कि हरियाली वैली में आग लगने से तापमान में वृद्धि देखने को मिल रही है। आस-पास के पेयजल स्त्रोत सूख रहे हैं। विजिबिलिटी की समस्या क्षेत्र में बनी हुई है। सांस लेने में भी लोगों को दिक्कतें हो रही हैं। उन्होंने कहा कि वन विभाग को जंगलों में आग लगाने वालों के खिलाफ सख्त कदम उठाने की जरूरत है। ऐसे लोगों को जेल भेजा जाना चाहिए।
मौसम शुष्क होने की वजह से बढ़ीं आग लगने की घटनाएं
रुद्रप्रयाग वन प्रभाग के डीएफओ अभिमन्यु सिंह का कहना है कि मौसम शुष्क रहने के कारण जंगल में आग लगने की घटनाएं बढ़ी हैं। अभी तक जिले में 52 आग की घटनाएं घटी हैं, जिससे 39 हेक्टेयर जंगल जलकर खाक हो गए हैं। उन्होंने कहा कि वन विभाग लगातार आग बुझाने का प्रयास कर रहा है। आम जनता को भी वनों में आग न लगाने के लिए जागरूक किया जा रहा है।