New Criminal Laws: एक जुलाई यानी आज से तीन नए आपराधिक कानून देशभर में लागू हो गए हैं। अब भारतीय दंड संहिता (IPC) 1860 की जगह भारतीय न्याय संहिता 2023 (BNS), कोड ऑफ क्रिमिनस प्रोसीजर 1973 (CrPC) की जगह भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 (BNSS) और इंडियन एविडेंस एक्ट 1872 (IEA) की जगह भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 (BSA) ने ले लिया है। आइए, इससे जुड़ी बातों को विस्तार से जानते हैं…
New Criminal Laws: नए आपराधिक कानूनों की खास बातें
- राजद्रोह की जगह अब देशद्रोह शब्द का होगा इस्तेमाल, दोषी को मिलेगी उम्रकैद या फांसी
- मॉब लिंचिंग के मामले में होगी मौत की सजा या आजीवन कारावास
- पीड़ित किसी भी थानें में दर्ज करा सकेंगे एफआईआर
- एफआईआर, केस डायरी, चार्जशीट और जजमेंट तक सभी होंगे डिजिटल
- भगोड़े अपराधियों की संपत्ति होगी जब्त, गैर मौजूदगी में भी चलेगा मुकदमा
- पहली बार आतंकवाद को किया गया परिभाषित
- शिकायत मिलने के तीन दिन के अंदर एफआईआर दर्ज करना होगा अनिवार्य
- तलाशी और जब्ती में ऑडियो-वीडियो रिकॉर्डिंग होगी अनिवार्य
New Criminal Laws: 14 दिन में दर्ज करनी होगी एफआईआर
नए आपराधिक कानून के मुताबिक, तीन से सात साल की सजा के केस में 14 दिन में शुरुआती जांच पूरी कर एफआईआर दर्ज करनी होगी। वहीं, दुष्कर्म के मामले में सात दिन के अंदर पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट पुलिस स्टेशन और कोर्ट में भेजी जाएगी। हालांकि, इसकी समयसीमा को लेकर जिक्र नहीं किया गया है।
दुष्कर्म के मामलों में धारा 63 का होगा उपयोग
महिलाओं और बच्चों से जुड़े अपराध को धारा 63 से 99 तक रखा गया है। अब दुष्कर्म के लिए धारा 63, गैंगरेप के लिए धारा 70 और यौन उत्पीड़न के लिए धारा 74 का प्रावधान किया गया है। नाबालिग से रेप या गैंगरेप मामले में आरोपी के लिए फांसी की सजा का प्रावधान किया गया है। वहीं, दहेज के लिए हत्या और प्रताड़ित करने के मामले को धारा 79 और 84 में परिभाषित किया गया है।
नए कानून के मुताबिक, अगर पत्नी की उम्र 18 साल से ज्यादा है तो उसके साथ जबरन संबंध बनाना रेप नहीं होगा। हालांकि, शादी का झांसा देकर अवैध संबंध बनाने पर अधिकतम 10 साल की सजा हो सकती है। इसके अलावा, मानसिक स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचाने पर दोषी को तीन साल की सजा होगी।
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita)
भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita) में 531 धाराए हैं, जबकि सीआरपीसी में 484 धाराएं थी। बीएनएसएस में 177 प्रावधानों में संशोधन किया गया है, जबकि 14 धाराओं को खत्म कर दिया गया है। इसमें 9 नई धाराएं और 39 उप धाराएं जोड़ी गई हैं।
BNSS के मुताबिक, कोई भी कैदी अगर किसी अपराध के लिए अधिकतम सजा काट चुका है तो उसे प्राइवेट बॉन्ड पर रिहा किया जा सकता है। नए कानून में नागरिकों को अपराध होने पर किसी भी थाने में जीरो एफआईआर दर्ज कराने की व्यवस्था की गई है। इसे 15 दिन के अंदर अपराध वाले क्षेत्र में भेजना होगा।
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90 दिन के अंदर दायर करना होगा चार्जशीट
बीएनएसएस के अनुसार, एफआईआर दर्ज होने के 90 दिनों के अंदर आरोप चार्जशीट यानी आरोप पत्र दायर करना जरूरी है। एक बार चार्जशीट दायर होने पर 60 दिन के अंदर आरोप तय करने होंगे। वहीं, किसी केस की सुनवाई पूरी होने पर कोर्ट को 30 दिन के अंदर फैसला देना होगा। इसके बाद 7 दिन के अंदर इसकी कॉपी भी उपलब्ध करानी पड़ेगी।
भारतीय साक्ष्य अधिनियम (BSA)
भारतीय साक्ष्य अधिनियम में कुल 170 धाराएं हैं, जबकि इंडियन एविडेंस एक्ट में 167 धाराएं थीं। नए कानून में 6 धाराओं को निरस्त कर दिया गया है, जबकि 2 नई धाराओं और 6 उपधाराओं को जोड़ा गया है। BSA में डिजिटल सबूतों को भी मान्यता दी गई है। इसमें मोबाइल, ई-मेल, इंटरनेट आदि से मिलने वाले साक्ष्य शामिल हैं। भारतीय न्याय संहिता की बात करें तो इसमें 357 धाराएं हैं। पहले आईपीसी के तहत इसमें 511 धाराएं होती थीं।
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