Gama Pehlwan Birthday: गामा पहलवान को एक ऐसे पहलवान के रूप में जाना जाता है, जो कभी कोई मुकाबला नहीं हारे। इन्होंने अपनी प्रतिभा के दम पर दुनियाभर में अपनी पहचान बनाई। गामा को ‘द ग्रेट गामा’ और ‘रुस्तम-ए-हिन्द’ के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने 50 साल के कुश्ती करियर में कई खिताब जीते। आज उनका जन्मदिन है।
पिता से सीखे पहलवानी के दांव-पेच
ऐसा कहा जाता है कि गामा पहलवान का जन्म 22 मई 1878 को अमृतसर के जब्बोवाल गांव में हुआ था, लेकिन उनके जन्मस्थान को लेकर इतिहासकारों में मतभेद रहा है। कुछ इतिहासकार इनका जन्मस्थान मध्य प्रदेश के दतिया को मानते हैं। उनका असली नाम गुलाम मोहम्मद बख्श भट्ट था। गामा की हाइट 5 फीट 7 इंच थी और वजन करीब 113 किलो बताया जाता है। उनके पिता एक पहलवान थे। पिता को कुश्ती करते देख उन्होंने पहलवान बनने की ठानी। बाद में, गामा ने पिता मोहम्मद अजीज बख्श से पहलवानी के दांव-पेच सीखे।
जब लंदन इंटरनेशनल चैंपियनशिप में नहीं मिली एंट्री
गामा ने कम उम्र में ही पहलवानी के क्षेत्र में अपनी पहचान बना ली थी। उन्होंने कई दिग्गज पहलवानों को कुश्ती में हराया था। साल 1910 में वह लंदन इंटरनेशनल चैंपियनशिप में हिस्सा लेने लंदन पहुंचे, लेकिन उनकी हाइट सिर्फ 5 फीट और 7 इंच ही थी। इसलिए वो चैंपियनशिप में हिस्सा नहीं ले पाए। इस बात पर नाराज होकर गामा ने वहां के पहलवानों को 30 मिनट में हराने की चुनौती दी। इस चुनौती को किसी ने स्वीकार नहीं किया।
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ब्रूस ली को भी दी थी चुनौती
गामा ने मार्शल आर्ट आर्टिस्ट दिग्गज ब्रूस ली को भी चुनौती दी थी। ब्रूस ली ने गामा को प्रशिक्षण भी दिया था। जब गामा को दिग्गज आर्टिस्ट से मिलने का मौका मिला तो उन्होंने ‘द कैट स्ट्रेच’ को सीखने की जिद की। इस दांव को ब्रूस ली ने पहलवान को सिखाया भी था। गामा ने अपने करियर में कई मुकाबले जीते। साल 1927 में वर्ल्ड कुश्ती चैम्पियनशिप जीतने के बाद उन्हें ‘टाइगर’ की उपाधि से नवाजा गया।
गामा की डाइट और रूटीन
रिपोर्ट के अनुसार, गामा पहलवान रोजाना 6 देसी मुर्गे, 10 लीटर दूध, 200 ग्राम बादाम को पीसकर बनाए गए पेय का सेवन करते थे। गामा की डाइट ही उनकी ताकत का सीक्रेट थी। इसके अलावा वह अपने 40 साथियों के साथ रोजाना कुश्ती करते थे। 5 हजार बैठक और 3 हजार पुशअप्स करना, उनके वर्कआउट रूटीन का अहम हिस्सा था।
गामा पहलवान की उपलब्धियां
गामा पहलवान अपने 50 साल के कुश्ती करियर में एक भी मुकाबला नहीं हारे। वर्ल्ड हैवीवेट चैम्पियनशिप (1910) और वर्ल्ड कुश्ती चैम्पियनशिप जीतना, उनके करियर की बड़ी उपलब्धियों में से एक है। इस जीत के बाद उन्हें ‘टाइगर’ की उपाधि से नवाजा गया। 20वीं शताब्दी की शुरुआत में उन्हें ‘रुस्तम-ए-हिंद’ की उपाधि दी गई।
कैसे हुई गामा की मौत
गामा पहलवान के पांच बेटे और चार बेटियां थी। उनके सभी बेटों की कम उम्र में ही मौत हो गई थी। उन्होंने अपने आखिरी समय में काफी दिक्कतों का सामना किया। लंबी बीमारी के बाद 23 मई साल 1960 में 82 वर्ष की उम्र में गामा की मृत्यु हो गई। आज भी उन्हें उनकी प्रतिभा के लिए याद किया जाता है।
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