राष्ट्रपति भवन में आयोजित समारोह में देश की दिग्गज हस्तियों को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने पद्म अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। इन दिग्गज हस्तियों में उत्तराखंड के प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ. यशवंत सिंह कठोच भी शामिल रहे। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने यशवंत सिंह को पद्मश्री पुरस्कार से नवाजा। डॉ. यशवंत सिंह का साहित्य और शिक्षा में बड़ा योगदान रहा है। भारतीय संस्कृति, इतिहास और आर्कियोलॉजिकल रिसर्च कार्यों के लिए यशवंत सिंह को पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित किया गया। आज हम आपको डॉ. यशवंत सिंह कठोच के शिक्षा और साहित्य के क्षेत्र में अहम योगदान के बारे में बताएंगे, जिसके लिए उन्हें पद्मश्री सम्मान दिया गया।
डॉ. यशवंत कठोच उत्तराखंड के प्रसिद्ध इतिहासकार हैं। यशवंत कठोच ने कई सालों तक शिक्षा के क्षेत्र में प्रिंसिपल के रूप में सेवाएं दीं। इसके बाद उन्होंने कई आर्कियोलॉजिकल रिसर्च कीं। आर्कियोलॉजी के क्षेत्र में यशवंत कठोच का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। यशवंत सिंह ने युवाओं को कड़ा संदेश भी दिया। उन्होंने कहा कि युवा आज मोबाइल में अपना ज्यादा समय बर्बाद कर रहे हैं। उन्हें उसकी जगह अपने काम पर ध्यान देने की जरूरत है।
डॉ. यशवंत कठोच पौड़ी जिले के रहने वाले हैं। उनका जन्म 27 दिसंबर 1935 में एकेश्वर विकासखंड में मासौ गांव में हुआ था। डॉ यशवंत कठोच ने 1974 में आगरा यूनिवर्सिटी से इतिहास की पढ़ाई की। 1978 में डॉ. यशवंत कठोच ने हेमवती नंदन बहुगुणा यूनिवर्सिटी में अपनी रिसर्च सम्मिट की। इसके बाद उन्हें डीफिल की उपाधि मिली। इसके अलावा डॉ. यशवंत कठोच ने इतिहास व रिसर्च से जुड़ी कई किताबें भी लिखी हैं। देवभूमि के यशवंत कठोच ने आज पद्मश्री अवॉर्ड को हासिल करके पहाड़ के सम्मान को बढ़ा दिया है। यशवंत सिंह ने इसके बाद पद्मश्री से सम्मानित करने के लिए सरकार को धन्यवाद दिया और अपनी लिखी हुई किताबों की जानकारी दी।
डॉक्टर यशवंत सिंह कठोच उत्तराखंड रिसर्च इन्स्टिट्यूट के संस्थापक सदस्य हैं। यशवंत सिंह ने लंबे अध्यय्न के बाद कई किताबें लिखीं। डॉक्टर कठोच ने मध्य हिमालय की कला एक वास्तु शास्त्रीय अध्ययन, मध्य हिमालय की आर्कियोलॉजी, संस्कृति के पदचिह्न, सिंह भारती और उत्तराखंड की सैन्य परंपरा समेत एक दर्जन पुस्तकें लिखी हैं। रिसर्च के छात्रों के लिए डॉ. कठोच की पुस्तकें काफी मददगार साबित हो रही हैं। उत्तराखंड की संस्कृति के साथ ही मध्य हिमालय में रुचि रखने वालों के लिए यशवंत सिंह की ये किताबें मार्गदर्शक का काम करती हैं। अभी यशवंत मध्य हिमालय के पुराभिलेख, इतिहास और संस्कृति पर कई लेख लिखने का काम कर रहे हैं।