Loksabha Election 2024 : नेता जनता से बड़े-बड़े वादे करते है और देश की तरक्की गिनाते हैं। कहते हैं कि हम चांद पर पहुंच गए हैं। हमारी जीडीपी की दर पहले के मुकाबले बहुत बढ़ गई है। विदेशों में भारत का आज डंका बज रहा है। भारत की आर्थिक स्थिति बहुत मजबूत हो गई है, लेकिन इन सबके बीच जनता की जो मूलभूत आवश्यकताएं हैं, वो कहीं गुम हो गई हैं। उन मुद्दों को नेता भूल गए हैं। मूलभूत सुविधाओं को लेकर चुनाव बहिष्कार सरकार के लिए चेतावनी है। इसी की खामियाजा नेताओं को लोकसभा चुनाव 2024 में उठाना पड़ा। इसकी झलक उत्तराखंड में 19 अप्रैल को हुए लोकसभा चुनाव में देखने को मिली, जहां कई जगहों पर ग्रामीणों ने मूलभूत सुविधाओं को लेकर चुनाव का बहिष्कार कर दिया। 2019 में उत्तराखंड में 10 जगहों पर लोकसभा चुनाव का बहिष्कार किया गया था। बहिष्कार का मुद्दा गांवों में सड़क न होना ही रहा। वहीं, 2024 में 25 जगहों पर लोकसभा चुनाव का बहिष्कार किया गया।
उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव के बहिष्कार के कारण का मुख्य मुद्दा सड़क और पुल रहा। आजादी के 76 साल भी कई ऐसे गांव हैं, जहां सड़क नहीं है। उत्तराखंड में चाहे कांग्रेस की सरकार रही हो या बीजेपी की, चुनाव के दौरान नेता आए और सरकार बनने के बाद सड़क का निर्माण और अन्य समस्याओं का समाधान करने का वादा कर चले गए, लेकिन सड़क नहीं बनी। ऐसा हर बार हुआ। नेताओं के झूठे वादों से परेशान होकर ग्रामीणों ने चुनाव बहिष्कार को अपना हथियार बना लिया। इसके बाद से ग्रामीणों ने अपनी मूलभूत सुविधाओं की मांग को लेकर चुनाव बहिष्कार शुरू कर दिया।
देहरादून
चकराता क्षेत्र में द्वार और बिशलाड़ खत के 12 गांवों के ग्रामीणों ने च़ुनाव का बहिष्कार कर दिया। ग्रामीण दांवा पुल-खारसी मोटर मार्ग की मरम्मत की मांग कर रहे थे, लेकिन नेताओं इस ओर ध्यान नहीं दिया। इस कारण मिंडाल, खनाड़, कुराड़, सिचाड़, मंझगांव, समोग, थणता, जोगियो, बनियाना, सेंजाड़, सनोऊ, टावरा आदि गांवों के ग्रामीणों ने बहिष्कार कर दिया।
टिहरी गढ़वाल
टिहरी गढ़वाल के नगर पंचायत लंबगांव के वार्ड नंबर 3 और 4 के ग्रामीणों ने चुनाव का बहिष्कार किया। यहां 19 अप्रैल को दोपहर तक सिर्फ एक वोट पड़ा था। ग्रामीणों में सड़क सहित अन्य विकास कार्य न होने से आक्रोश है। इस कारण उन्होंने ऐसा कदम उठाया।
मसूरी
मसूरी विधानसभा क्षेत्र के ग्राम पंचायत मोटीदार कपलानी में करीब 7 गांवों में चुनाव का बहिष्कार किया गया। ग्रामीणों का कहना है कि उनके क्षेत्र में काफी लंबे समय से सड़क निर्माण की मांग की जा रही है, लेकिन अभी तक नहीं बनी है। इस वजह से लोग काफी परेशान हैं। ग्रामीणों का कहना है कि गांव से लगातार पलायन हो रहा है। कई लोग अपना गांव सड़क न होने के कारण छोड़कर चले गए हैं, लेकिन सरकार इस ओर ध्यान नहीं दे रही है। ग्रामीणों का कहना है कि जब रोड ही नहीं तो वोट किस बात पर दें। ग्राम प्रधान अमर देव भट्ट ने बताया था क्षेत्र में सड़क न होने के कारण लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, जिस वजह से उनमें आक्रोश है।
चमोली
चमोली जिले के बलाण और देवराडा बूथ पर दोपहर तक एक भी वोट नहीं पड़ा था। यहां लोगों ने नगर पंचायत से देवराडा को हटाने और सड़क की मांग को लेकर चुनाव का बहिष्कार कर दिया।
उधम सिंह नगर
उधम सिंह नगर के ग्राम अर्जुनपुर और कोपा बसंता में ग्रामीणों ने ‘सड़क और पुल नहीं तो वोट नहीं’ की मांग को लेकर चुनाव का बहिष्कार किया। इससे प्रशासन में हड़कंप मच गया। प्रसासन ने ग्रामीणों को मनाने का कोशिश की, लेकिन ग्राणीण नहीं माने। रुद्रपुर विधानसभा क्षेत्र के ग्राम अर्जुनपुर और गदरपुर विधानसभा के कोपा बसंता, कोपा लाला, सेमल चौड़ और कटपुलिया आदि गांव के लोगों ने मतदान का बहिष्कार किया।