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वोटिंग के फाइनल आंकड़े सवालों के घेरे में, क्या कुछ खेला है? 

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Loksabha Election 2024 : देश में पांच चरण के चुनाव हो चुके हैं। आपको जिस पर गुस्सा उतारना था, आपको जिस पर प्यार जताना था। वो आपने अपने वोट के जरिए जता दिया है। देश की करीब 80 फीसदी जनता अपने प्यार और गुस्से का इजहार वोट के जरिए कर चुकी है, लेकिन कहीं आपके वोट के साथ कुछ घालमेल तो नहीं हो रहा है। कहीं आपके वोट के साथ कोई हेराफेरी तो नहीं रही है। वोटिंग के बाद शाम को चुनाव आयोग की तरफ से आने वाले आंकड़ों और उसके दो-चार दिन बाद आने वाले फाइनल आंकड़ों में इस बार बहुत ज्यादा अंतर दिखाई दे रहा है। इससे विपक्ष के नेताओं समेत तमाम लोग चुनाव आयोग के कामकाज पर संदेह कर रहे हैं। अब तो ये मामला देश की सबसे बड़ी अदालत में भी पहुंच गया है।

पांचवें चरण में 49 सीटों के लिए वोटिंग हुई तो मतदाताओं ने तेज गर्मी की परवाह किए बगैर खूब जोश दिखाया। चुनाव आयोग की तरफ से जो आंकड़े आए, उसके मुताबिक पांचवें चरण में 59.36 फीसदी वोटिंग हुई है। पश्चिम बंगाल में सबसे ज्यादा 73.14 फीसदी मतदान दर्ज किया गया। वहीं, महाराष्ट्र में सबसे कम 54.16 फीसदी वोटिंग हुई। बिहार में 53.86 फीसदी, जम्मू-कश्मीर में 56.04, झारखंड में 63.06, लद्दाख में 68.47, ओडिशा में 63.44 और उत्तर प्रदेश में 57.79 प्रतिशत वोटिंग हुई।

ये तो रहे चुनाव आयोग की तरफ से मतदान वाले दिन यानी 20 मई की शाम को जारी किए गए आंकड़े, लेकिन दो-चार दिन में ये आंकड़े बढ़ सकते हैं। थोड़े बहुत नहीं 4-5 फीसदी तक। ऐसा हम किसी अंदाजे से नहीं कह रहे हैं। पिछले चार चरण के चुनाव में मतदान के जो फाइनल आंकड़े आए हैं, उनके 4 से 5 फीसदी तक की बढ़ोतरी देखी जा चुकी है। वोटिंग वाले दिन जो आंकड़ा बताया गया और जब फाइनल आंकड़ा आया, उसमें 1 करोड़ 10 लाख वोटों का अंतर आ गया है। जी हां, पूरे एक करोड़ 10 लाख वोटों का। चार चरण तक 379 लोकसभा सीटों पर चुनाव हुए, उसमें चुनाव आयोग ने जो फाइनल आंकड़ा जारी किया, उसमें एक करोड़ से ज्यादा वोटों का अंतर आ गया। यानी हर लोकसभा सीट पर औसतन 28 हजार वोट बढ़ गए।

पहले चरण में 19 अप्रैल को वोटिंग हुई। चुनाव आयोग ने उसी दिन शाम को बताया कि 60 फीसदी वोटिंग हुई है, जबकि 26 अप्रैल को दूसरे चरण में वोटिंग हुई तो उस दिन रात को बताया गया कि 60.56 फीसदी वोटिंग हुई हैं, लेकिन 30 अप्रैल को इन दोनों चरणों के फाइनल आंकड़े जारी किए किए गए तो इनमें भारी अंतर दिखा। 19 अप्रैल की वोटिंग का फाइनल आंकड़ा 60 से बढ़कर 66.14 फीसदी हो गया, जबकि 26 अप्रैल की वोटिंग का फाइनल आंकड़ा 60.56 फीसदी से बढ़कर 66.71 फीसदी हो गया।

आपके दिलोदिमाग में हेराफेरी की आशंका गहराए, इसके पहले तीसरे और चौथे चरण के वोटों में आए अंतर को भी जान लीजिए। तीसरे चरण में 7 मई औऱ चौथे चरण में 13 मई को चुनाव हुए। 7 मई की शाम चुनाव आयोग ने कुल वोटिंग का आंकड़ा 61.45 प्रतिशत बताया, लेकिन 8 मई की शाम फाइनल आंकड़ा 65.68 परसेंट हो गया। इसी तरह 13 मई की शाम वोटिंग का आंकड़ा 67.25 फीसदी बताया गया, लेकिन फाइनल आंकड़ा निकला 69.16 फीसदी। इसलिए आप तय मानिए कि पांचवें चरण, छठे चरण औऱ सातवें चरण का फाइनल आंकड़ा भी इसी तरह बदलने वाला है। भारत के चुनावी इतिहास में यह पहली बार हो रहा है, जब चुनाव के कई-कई दिनों बाद तक चुनाव आयोग वोट का फाइनल आंकड़ा अपडेट कर रहा है। इसमें इतना अंतर आज तक कभी किसी चुनाव में नहीं देखा गया।

चुनाव आयोग पहले से सवालों के घेरे में रहा है, लेकिन वोटिंग के फाइनल आंकड़ों में इतने बड़े अंतर ने इन सवालों को और गंभीर बना दिया है। जहां एक-एक वोट से हार जीत का फैसला होता है, वहां चार चरणों में 1 करोड़ 10 लाख वोटों का अंतर क्या गुल खिला सकता है। आप खुद ही समझ लीजिए। पांचवें चरण के फाइनल आंकड़े अभी आए नहीं हैं, लेकिन देखिए चार चरणों में वोटिंग का अंतर जिस तरह बदला, उसी तरह पांचवें चरण का फाइनल आंकड़ा भी कुछ अलग होगा। पहले चार चरणों में उस दिन शाम को जारी आंकड़ों और फाइनल आंकड़ों में कितने वोट बढ़े ये भी देख लीजिए…

फाइनल आंकड़े में कितने वोट बढ़े
पहला चरण- 5.5%
दूसरा चरण- 5.74%
तीसरा चरण- 4.23%
चौथा चरण- 1.91%

चुनाव आयोग की कार्यप्रणाली पर सवाल सिर्फ हम और आप नहीं उठा रहे हैं, बल्कि विपक्षी दलों से लेकर तमाम संस्थाओं ने इस पर शक जताया है। चुनाव सुधार पर काम करने वाली संस्था एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स यानी ADR तो इस मामले को सुप्रीम कोर्ट ले जा चुकी है। ADR की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग से कई तीखे सवाल पूछे हैं। चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली बेंच ने पूछा है कि वोटिंग का फाइनल आंकड़ा उसी दिन अपलोड करने में आखिर क्या दिक्कत है? अगर उसी दिन अपलोड नहीं कर सकते तो अंतिम आंकड़ा 48 घंटे में क्यों नहीं दे सकते ?

सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे कई सवालों पर जवाब देने के लिए चुनाव आयोग को एक हफ्ते का वक्त दिया है। अगली सुनवाई में चुनाव आयोग की तरफ से आधिकारिक सफाई दी जाएगी, लेकिन अभी चुनाव आयोग की तरफ से यही कहा जा रहा है कि देश के दूरदराज इलाकों से फाइनल आंकड़ा जुटाने में वक्त लगता है। विपक्ष के नेता इन दलीलों को बकवास बता रहे हैं।

देश में जब संवैधानिक संस्थाओं की विश्वसनीयता सवालों के घेरे में हो तो चुनाव आयोग इससे कैसे बच सकता है। सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को फटकार लगाते हुए एक सप्ताह का समय दिया है और 17C का डाटा जारी करने को कहा है, जिससे चुनाव आयोग अब तक बचता रहा है।


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