Kanwar Yatra : श्रवण कुमार ने सतयुग में अपने माता-पिता को कांवड़ में बैठाकर चारधाम की यात्रा कराई थी। आज भी ऐसे लोग हैं, जो अपने माता-पिता की इच्छा पूरी करने के लिए कठिन परिश्रम करने से पीछे नहीं हटते हैं। 22 जुलाई से कांवड़ मेला शुरू होने जा रहा है, लेकिन उससे पहले ही हरिद्वार की सड़कों पर सैकड़ों की तादाद में कावंड़िए हर की पैड़ी से गंगाजल भर अपने गंतव्य की ओर जा रहे हैं। यूं तो इन कांवड़ियों में भक्ति के विभिन्न रंग देखने को मिलते हैं, लेकिन कुछ एक ऐसे भी होते हैं, जो अनायास ही अपनी ओर खींच लेते हैं। ऐसे ही हैं हरियाणा के भिवानी गांव के तीन भाई जो माता-पिता को कांवड़ में बैठाकर ले जा रहे हैं।
यह भी देखें : Sawan 2024: कलियुग का काशी, जहां स्वयंभू रूप में विराजमान हैं शिव
हरियाणा के भिवानी से आए अशोक ओर उसके दो भाई मिलकर अपने माता-पिता को कांवड़ में बैठाकर अपने कंधों पर कांवड़ यात्रा करा रहे हैं। कांवड़ यात्रा कर रहे अशोक का कहना है कि सतयुग के श्रवण कुमार भी एक इंसान ही थे, इसलिए वह भी अपने माता-पिता के लिए श्रवण कुमार बनकर दिखाना चाहते हैं और भोले की मर्जी के अनुसार ही माता-पिता को अपने कंधों पर कांवड़ यात्रा करा रहे हैं। अशोक और उसके दोनों भाई माता-पिता को कांवड़ यात्रा कराने से बेहद खुश हैं। वहीं, उनके माता-पिता भी अपने बच्चों के इस कार्य से बहुत खुश हैं।
यह भी देखें : कांवड़ यात्रा रूट पर व्यवसायियों की पहचान वाले निर्णय का अखाड़ा परिषद ने किया स्वागत