देश में मौजूद सभी हिमालय राज्यों के भविष्य और पर्यावरण को लेकर देश भर की पर्यावरण संस्थाओं ने अपनी चिंता जाहिर की है। लोकसभा चुनाव 2024 से पहले एक दर्जन से ज्यादा राज्यों की 67 पर्यावरण संस्थाओं ने मिलकर डिक्लेरेशन बनाकर डिमांड चार्ट जारी किया है। गौरतलब है कि हाल ही में लद्दाख में सोनम वांगचुक की 21 दिन की भूख हड़ताल ने पूरे देश भर के पर्यावरणविदों का ध्यान खींचा। उत्तराखंड में भी लगातार लंबे समय से जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति और यूथ फॉर हिमालय इस तरह के अभियान चला रहे हैं। वहीं, अब अलग-अलग हिमालय राज्यों में एक तरह की समस्याओं का सामना कर रहे सभी लोग एकजुट होकर अपनी आवाज मजबूत कर रहे हैं।
अब सभी संस्थाएं एक प्लेटफार्म पर आकर अपनी मांगों को लोकसभा चुनाव से पहले सभी राजनीतिक दलों के सामने रख रही हैं। जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के सदस्य अतुल सती ने बताया कि देश में मौजूद नॉर्थ ईस्ट की सेवन सिस्टर यानी कि राज्य और उत्तराखंड हिमाचल के अलावा जम्मू एंड कश्मीर व लद्दाख शामिल है। इन राज्यों में हिमालय की इकोलॉजी के साथ लगातार हो रहे डिस्टरबेंस और आपदाओं के पैटर्न के अलावा यहां पर होने वाले निर्माण और सरकार द्वारा बनाई जा रहीं पॉलिसियों को लेकर के देशभर की 67 संस्थाएं एकजुट होकर एक मंच पर आ गई हैं। ये सभी हिमालय को लेकर चिंतित हैं। इतना ही नहीं उन्होंने बताया कि हाल ही में हिमाचल में एक बड़ा आयोजन किया गया था, जिसमें कि यह सभी संस्थाएं शामिल हुई थीं और एक डिक्लेरेशन जारी किया गया था। इस डिक्लेरेशन के आधार पर तमाम राजनीतिक दलों के लिए और देश की नीति नियंत्रण के लिए एक डिमांड चार्ट की घोषणा की गई है।
5 मुख्य महत्वपूर्ण बिंदु
भूमि उपयोग में बदलाव और नियमित निगरानी के साथ योजनाओं का निर्माण
प्रकृति पर आश्रित समुदायों के लिए भूमि और वन संसाधन अधिकार प्रकृति आधारित आजीविका और संरक्षण को मजबूत करना
पारदर्शिता और जानकारी का अधिकार और इसकी सुगमता
बिल्डिंग सेरिलिएंट इक्विटेबल एंड सस्टेनेबल माउंटेन सोसाइटीज
आपदा प्रबंधन को त्वरित और मजबूत करना
सत्ता और विपक्ष दोनों को सौंपा जाएगा मांग पत्र
जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति के सदस्य अतुल सती ने बताया कि पीपल फॉर हिमालय अभियान 2024 हिमालय को सस्टेनेबल बनाने और हमारे भविष्य के प्रति हमारे योगदान का एक कदम है। उन्होंने बताया कि अलग-अलग राज्यों में जोकि हिमालय स्टेट हैं, वहां पर समस्याएं एक जैसी हैं और उनके समाधान भी एक जैसे ही हैं। उन्होंने कहा कि उनके द्वारा अलग-अलग चरणों में की गई समीक्षा और उसके आधार पर निकाले गए डिक्लेरेशन के बाद एक डिमांड चार्ट की रचना पीपल फॉर हिमालय अभियान 2024 के रूप में की गई है। इसके बाद राजनीतिक दलों को भी इसे सौंपा जाएगा। इसके अलावा राज्य में मौजूद बीजेपी की संकल्प पत्र समिति को भी वह इस मांग पत्र को देने का प्रयास करेंगे।
देश में इस वक्त लोकसभा चुनाव चल रहा है और सभी राजनीतिक दल इस वक्त अपने घोषणा पत्रों को लेकर के एक्सरसाइज कर रहे हैं। वहीं, ऐसे में भारतीय जनता पार्टी ने संकल्प पत्र को लेकर पूरे प्रदेश भर में सुझाव एकत्रित किए। हालांकि, इतने बड़े प्लेटफार्म पर उठ रही मांग को भाजपा ने अपने संकल्प पत्र में शामिल किया होगा या नहीं, इसके लिए पार्टी से जानकारी ली तो भाजपा के प्रदेश महामंत्री आदित्य कोठारी का कहना है कि निश्चित तौर से यह महत्वपूर्ण विषय है. उन्होंने कहा कि पर्यावरण प्रेमियों द्वारा की जा रही चिंता भी जायज है। इसको लेकर के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी खुद चिंतित हैं और निश्चित तौर से आने वाली सरकार में इसका प्रतिबिंब देखने को मिलेगा।
वहीं, विपक्ष की ओर से गरिमा दासोनी का कहना है कि हिमालय की लगातार हो रही दुर्दशा के पीछे भारतीय जनता पार्टी की पर्यावरण विरोधी नीति है।