देवभूमि उत्तराखंड में तीर्थस्थलों के कपाट खुलने का सिलसिला शुरू हो गया है। चारधाम के कपाट खुलने की तारीख घोषित हो चुकी है तो वहीं, अब अन्य धामों के कपाट खुलने की शुरुआत भी हो गई है। जन-जन के आराध्य लाटू देवता मंदिर के कपाट खोल दिए गए हैं। मंगलवार को भक्तों की मौजूदगी में पूरे विधि-विधान और वैदिक मंत्रोच्चार के साथ लाटू मंदिर के कपाट खोले गए। दोपहर में 2 बजकर 10 मिनट पर लाटू देवता मंदिर के कपाट आम श्रद्धालुओं के लिए खोल दिए गए। भक्त अब अगले 6 महीने तक मंदिर में दर्शन कर सकेंगे। लाटू देवता को पांचवें धाम के नाम से विख्यात मां नंदा देवी का धर्म भाई माना जाता है। लाटू देवता का यह भव्य मंदिर चमोली के वाण गांव में स्थित है। लाटू देवता के कपाट खुलने के अवसर पर भक्त काफी उत्साहित नजर आए।
मंदिर के कपाट खुलने के अवसर पर भक्तों का उत्साह नजर आ रहा था। इस पवित्र अवसर पर मौजूद श्रद्घालुओं ने स्थानीय ग्रामीणों के साथ पारम्परिक झोडा और झुमेला लोकनृत्य किया। स्थानीय ग्रामीणों ने मां नंदा और लाटू देवता के लोकगीत गाए।साथ ही पूरा मंदिर परिसर लाटू देवता के जयकारों से गूंज उठा। लाटू देवता मंदिर के कपाट विधि-विधान और पारंपरिक रूप से खोल दिए गए हैं। इस मौके पर भगवान लाटू देवता का आशीर्वाद पाने के लिए श्रद्धालुओं का हुजूम उमड़ पड़ा।
लाटू देवता के इस मंदिर से अनूठी परंपरा जुड़ी हैं। भक्त खुली आंखों से भगवान लाटू देवता के दर्शन नहीं कर सकते हैं। इतना ही नहीं पुजारी को भी आंखों और मुंह पर पट्टी बांधकर भगवान लाटू देवता की पूजा करनी होती है। पूजा अर्चना करने के बाद गर्भगृह के कपाट को बंद कर दिया जाता है। मान्यता है कि मंदिर के गर्भगृह में नागराज अपनी मणी के साथ विराजमान हैं। मणी इतनी चमकदार है जिसे देखने से आंखों की रौशनी जा सकती है। यही वजह है कि मंदिर के गर्भगृह को कोई भी खुली आंखों से नहीं देखता। डर है कि जो कोई खुली आंखों से इसे देखेगा तो उसका सर्वनाश हो जाएगा। इसी भय के चलते कोई भी ये जोखिम नहीं उठाता। भले ही इस चमत्कारी धाम को खुली आंखों से देखना सख्त मना है, लेकिन फिर भी करोड़ों भक्तों की लाटू देवता के प्रति गहरी आस्था है। हर साल यहां बड़ी संख्या में भक्त लाटू देवता के मंदिर में दर्शन के लिए पहुंचते हैं।