Bageshwar Kalika Mata Mandir: उत्तराखंड के बागेश्वर जिले के कांडा क्षेत्र में जोशीमठ जैसे हालात हो गए हैं। ऐसी स्थिति इसलिए बनी है, क्योंकि यहां पर बड़े पैमाने पर खनन होता है। कांडा क्षेत्र में ऐसी स्थिति को देखकर नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने केद्र और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी) से जवाब मांगा है। वहीं, 1000 साल पुराने कालिका माता मंदिर में दरारें आने से मंदिर के अस्तित्व पर खतरा मंडराने लगा है।
मीडिया रिपोर्ट में बताया गया था कि बागेश्वर में जमकर हो रहे खनन के कारण घरों, मंदिरों औऱ सड़कों में दरारें पड़ने लगी हैं। मामले का एनजीटी प्रमुख जस्टिस प्रकाश श्रीवास्तव और विशेषज्ञ सदस्य डॉ. अफरोज अहमद की पीठ ने संज्ञान लिया। इसके बाद नोटिस जारी किया।
केंद्रीय वन एवं पर्यावरण और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, सीपीसीबी, उत्तराखंड प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड और बागेश्वर के डीएम को पीठ ने नोटिस जारी किया। पीठ ने इन सभी से वास्तविक रिपोर्ट देने का आदेश दिया। इसके लिए पक्षकारों को एक सप्ताह का समय दिया गया है।
बागेश्वर जिले में स्थित 1000 साल पुराना कालिका माता मंदिर भी खतरे में है। मंदिर परिसर में दरारें आ गई हैं। इस ऐतिहासिक मंदिर में देश के कोने-कोने से श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। कालिका मंदिर भव्य और आकर्षक है। यह मंदिर 10वीं शताब्दी में स्थापित किया गया था। इस मंदिर की स्थापना आदिगुरु शंकराचार्य ने की थी। मंदिर का एक हिस्सा झुकने लगा है। यही नहीं मां काली की मूर्ति भी करीब दो इंच धंस गई है। मंदिर की दुर्दशा देखकर लोगों में आक्रोश है।
यह भी पढ़ें : केदारघाटी में पर्यटन मंत्री ने करोड़ों की योजनाओं का किया लोकार्पण व शिलान्यास
बागेश्वर जिला भूस्खलन और आपदा की दृष्टि से काफी संवेदनशील है। बागेश्वर में खड़िया खनन के लिए सबसे अधिक खानें स्वीकृत हैं। जब से खानों में खनन शुरू हुआ है, तब से लोगों के घर खतरे की जद में आ गए हैं।
यह भी पढ़ें : Transfers: हरिद्वार-अल्मोड़ा समेत कई जिलों के DM बदले गए, देखें पूरी लिस्ट