CM Pushkar singh Dhami: उत्तराखंड में सरकार और बीजेपी में बाहर से तो सबकुछ ठीक नजर आ रहा है, लेकिन भीतरखाने जो खिचड़ी पक रही है, उसकी तासीर देहरादून से लेकर दिल्ली तक पहुंच रही है। प्रदेश के मंत्रियों की हाजिरी दिल्ली दरबार में लग रही है तो प्रदेश के विधायकों की हाजिरी देहरादून में।
दिल्ली से देहरादून तक राजनीतिक हलचलों की जो तस्वीरें देखने को मिल रही हैं, वो उत्तराखंड की सियासी सुर्खियां बनने लगी हैं। बड़े-बड़े कयास लगाए जाने लगे हैं। सियासी सुगबुगाहट तेज हो गई है। सुगबुगाहट यह कि उत्तराखंड की सियासत में कुछ बड़ा होने वाला है।
जुलाई में उत्तराखंड की दो सीटों पर हुए उपचुनाव में बीजेपी पूरी तरह कांग्रेस के हाथों परास्त हो गई। इस हार के बाद देहरादून के मंत्रियों की दिल्ली की ओर दौड़ अचानक बढ़ गई। जुलाई में सबसे पहले प्रदेश के पूर्व सीएम तीरथ सिंह रावत ने दिल्ली में पीएम मोदी से मुलाकत की।
तीरथ सिंह रावत की पीएम मोदी से मुलाकात
तीरथ सिंह रावत की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात इसलिए भी खास है, क्योंकि बीते दिनों देहरादून में आयोजित हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में जिस तरह से तीरथ सिंह रावत ने संगठन और संगठन में हो रहे कार्यकर्ताओं के साथ बर्ताव को लेकर हंसते-हंसते अपने दिल की बात कह दी थी।
तीरथ रावत ने सरेआम ये कहा था कि कार्यकर्ताओं के साथ भेदभाव किया जा रहा है। उसके बाद अंदाजा यही लगाया जा रहा था कि हो सकता है कि तीरथ सिंह रावत पार्टी के बड़े नेताओं के रडार पर आ जाएं। इस बयान के बाद तीरथ सिह रावत की प्रधानमंत्री से मुलाकात को अलग नजरिये देखा जा रहा है।
उत्तराखंड के नेताओं की दिल्ली दरबार में हाजिरी
तीरथ सिंह रावत मोदी से क्या मिले उत्तराखंड के मंत्रियों, सांसदों और नेताओं ने एक के बाद एक दिल्ली दरबार में हाजिरी लगानी शुरू कर दी।.जुलाई के आखिरी सप्ताह में धामी कैबिनेट में स्वास्थ्य मंत्री धन सिंह रावत ने एक कदम आगे जाते हुए पीएम मोदी और गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात कर ली। यह मुलाकात इसलिए अहम मानी जा रही है, क्योंकि धन सिंह रावत ने कुछ ही घंटों के अंतराल में नरेंद्र मोदी और अमित शाह दोनों से मुलाकात कर ली।
हालांकि, उन्होंने इसे शिष्टाचार मुलाकात बताया। साथ में यह भी जोड़ा कि राज्य की राजनीति और आम मसलों पर भी चर्चा हुई। लोगों को ये बात नहीं पच पा रही थी कि शिष्टाचार मुलाकात के लिए धन सिंह रावत को पीएम और गृहमंत्री ने एक ही दिन में कैसे समय दे दिया, क्योंकि कई मुख्यमंत्रियों को भी पीएम और गृहमंत्री से मिलने के लिए इस तरह समय नहीं मिल पाता है।
मंत्री गणेश जोशी की गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात
धन सिंह रावत की मुलाकत के बाद प्रदेश के एक और मंत्री गणेश जोशी ने 29 जुलाई को गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात की। इसके बाद 6 अगस्त को प्रदेश सरकार के मंत्री सुबोध उनियाल गृहमंत्री अमित शाह से मिलने पहुंचे। यह मुलाकात भी शिष्टाचार वाली बताई गई। मामला यहीं नहीं थमा।
उत्तराखंड के नेताओं की दिल्ली में शिष्टाचार मुलाकातें
मंत्री सुबोध उनियाल की दिल्ली में मुलाकात के बाद उत्तराखंड बीजेपी के कई बड़े चेहरे गृहमंत्री अमित शाह से मिलने पहुंच गए। जहां गढ़वाल सांसद अनिल बलूनी के साथ-साथ प्रदेश के पूर्व सीएम त्रिवेद्र सिंह रावत और सांसद अजय भट्ट भी इस मुलाकत में शामिल रहे। इस मुलाकात को लेकर बताया गया कि उत्तराखंड में आ रही आपदा को लेकर चर्चा की जानी थी।बाकी सब शिष्टाचार भेंट की गईं। जुलाई के आखिरी सप्ताह से लेकर अगस्त के पहले हफ्ते तक उत्तराखंड बीजेपी के कई नेता दिल्ली में शिष्टाचार मुलाकत कर चुके हैं।
सीएम धामी से विधायकों की मुलाकात
दिल्ली में उत्तराखंड सरकार के मंत्रियों की बैठक चल रही है तो एक बैठक देहरादून में भी चल रही है। यहां प्रदेश के मुखिया पुष्कर सिंह धामी से विधायकों की टोली मुलाकात कर रही है। सीएम से मुलाकात करने वाले विधायकों में कई बड़े चेहरे शामिल रहे। इसमें हरिद्वार सीट से विधायक मदन कौशिक, विशन सिंह चौटाल, खजानदास, अनिल नौटियाल जैसे बड़े चेहरे शामिल रहे।
सीएम धामी से कांग्रेस नेता हरीश रावत मिले
विधायकों के सीएम धामी से मुलाकत के फोटो भी उसी तरह से बाहर आए, जैसे दिल्ली में उत्तराखंड सरकार के मंत्रियों की मुलाकत की तस्वीरें आ रही थीं, यानी कि दिल्ली से लेकर देहरादून तक समानांतर मुलाकात चल रही थी। दिल्ली में मंत्री मिल रहे थे तो देहरादून में विधायकों की सीएम के साथ बैठक चल रही थी। इसी बीच धामी से कांग्रेस के कद्दावर नेता और प्रदेश के पूर्व सीएम हरीश रावत ने भी मुलाकात की।
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उत्तराखंड के सियासी गलियारों की इस मुलाकात के क्या मायने हैं, इसे लेकर सियासी पंडितों की तरफ से बड़े-बड़े कयास लगाए जा रहे हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि सियासत में महत्वाकांक्षाएं सबकी बड़ी होती हैं और दिल्ली से देहरादून तक शिष्टाचार मुलाकात का ये सिलसिला लगातार जारी है। अब सवाल उठ रहे हैं कि क्या उत्तराखंड बीजेपी में सबकुछ ठीक है? सवाल ये भी है कि उत्तराखंड के बड़े नेताओं की मुलाकात क्यों बढ़ गई है? क्या वास्तव में ये सिर्फ शिष्टाचार मुलाकात है या फिर उत्तराखंड का सियासी ऊंट आने वाले दिनों में किसी करवट बैठने वाला है?
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सवाल ये भी है कि क्या दिल्ली से लेकर देहरादून तक चल रही शिष्टाचारी मुलाकातों की कोई नई सियासी पटकथा लिखी जा रही है? क्या इन मुलाकातों के मायने मुख्यमंत्री धामी से जुड़े हैं या फिर प्रदेश के भीतर आने वाले दिनों में सत्ता परिवर्तन की आहट सुनाई दे रही है? जानकारों का कहना है कि बदरीनाथ और मंगलौर विधानसभा उपचुनाव हारने के बाद ही ये सुगबुगाहट शुरू हुई है। अब सबकी नजरें केदारनाथ में होने वाले उपचुनाव पर टिकी हुई हैं। केदारनाथ उपचुनाव में जीत हार उत्तराखंड में बहुत कुछ तय कर देगी।