UPSC Lateral Entry: केंद्र सरकार ने संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) में लेटरल एंट्री पर यू-टर्न ले लिया है। विपक्ष के हमलों के बीच केंद्र ने मंगलवार को लेटरल एंट्री के विज्ञापन पर रोक लगा दी है। कार्मिक मंत्री जितेंद्र सिंह ने इसे लेकर यूपीएससी चेयरमैन को पत्र लिखा है।
पीएम मोदी के निर्देश पर लेटरल एंट्री पर लगी रोक
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने अपने पत्र में कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के निर्देश पर लेटरल एंट्री पर रोक लगाई गई है। उन्होंने कहा कि सरकार ने यह फैसला लेटरल एंट्री के व्यापक पुनर्मूल्यांकन के तहत लिया है। पत्र में कहा गया है कि पीएम मोदी का मानना है कि लेटरल एंट्री हमारे संविधान में निहित समानता और सामाजिक न्याय के सिद्धातों के समान होनी चाहिए। आरक्षण के प्रावधानों के संबंध में किसी तरह का छेड़छाड़ नहीं होनी चाहिए।
केंद्रीय मंत्री ने पत्र में कहा कि लेटरल एंट्री के तहत होने वाली भर्तियों में आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं है। इसलिए इसकी समीक्षा और जरूरत के अनुरूप इनमें सुधार की जरूरत है। प्रधानमंत्री का पूरा फोकस सामाजिक न्याय पर है।
यूपीए सरकार पर साधा निशाना
पत्र में यूपीए सरकार पर निशाना भी साधा गया है। कहा गया है कि लेटरल एंट्री का कॉन्सेप्ट 2005 में यूपीए सरकार लेकर आई थी। वीरप्पा मोइली की अगुवाई में प्रशासनिक सुधार आयोग बना था। इसमें लेटरल एंट्री की सिफारिशें की गई थीं। इसके बाद 2013 में छठे वेतन आयोग ने भी इसकी सिफारिश की थी।
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राहुल गांधी ने लगाए थे आरोप
बता दें कि यूपीएससी ने 17 अगस्त को एक विज्ञापन जारी कर 45 संयुक्त सचिव, उप सचिव और डायरेक्टर लेवल की भर्तियां निकाली थीं। विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने आरोप लगाया था कि इन भर्तियों के जरिए एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग का आरक्षण छीना जा रहा है।