Misleading Advertisement: भ्रामक विज्ञापन मामले में सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को देश की जानी-मानी हस्तियों को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि सेलिब्रिटी और सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर को अब विज्ञापन सोच-समझकर करना होगा, क्योंकि अब से वे लोग भी उतनी ही कार्रवाई के लिए जिम्मेदार हैं, जितने कि वे लोग जो भ्रामक तरीके से किसी उत्पाद या सेवा का विज्ञापन करते हैं।
विज्ञापनदाता और समर्थनकर्ता दोनों समान रूप से जिम्मेदार
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि देश की मशहूर हस्तियां और प्रतिभाशाली लोग उपभोक्ता उत्पाद का समर्थन करते समय जिम्मेदारी से काम करें, क्योंकि अब भ्रामक विज्ञापन जारी करने के लिए विज्ञापनदाता और समर्थनकर्ता दोनों ही समान रूप से जिम्मेदार होंगे। विज्ञापन के दौरान किसी भी उत्पाद का समर्थन करते समय और उसकी जिम्मेदारी लेते समय सेलिब्रिटी को पूरी जिम्मेदारी के साथ काम करना होगा।
बता दें, पतंजलि के भ्रामक विज्ञापनों को चुनौती देने वाली इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) की याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने यह टिप्पणी की। सुप्रीम कोर्ट ने IMA अध्यक्ष के विवादित बयान पर नोटिस भी जारी किया और 14 मई तक जवाब मांगा है।
न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति एहसानुद्दीन अमानउल्लाह की पीठ ने निर्देश दिया कि किसी विज्ञापन को जारी करने की अनुमति देने से पहले, ‘केबल टेलीविजन नेटवर्क नियम 1994’ के अनुसार विज्ञापनदाताओं से एक घोषणा पत्र हासिल किया जाए। वर्ष 1994 के इस कानून का नियम-सात एक विज्ञापन संहिता का प्रावधान करता है, जिसमें कहा गया है कि विज्ञापन देश के कानूनों के अनुरूप बनाये जाने चाहिए।
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) द्वारा 2022 में दायर एक याचिका पर सुनवाई चल रही है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि पतंजलि और योग गुरु रामदेव ने कोविड टीकाकरण और चिकित्सा के मॉडर्न सिस्टम को बदनाम करने की कोशिश की। पीठ ने पतंजलि के प्रॉडक्ट्स के बारे में भ्रामक विज्ञापनों की आलोचना की है। फिलहाल इन विज्ञापनों पर बैन लगा दिया गया है।