Big Announcement Central Government: केंद्र सरकार ने जम्मू-कश्मीर को लेकर बड़ा फैसला लिया है। जम्मू-कश्मीर के एलजी को भी दिल्ली के एलजी की तरह प्रशासनिक शक्तियां दी जाएंगी। यहां भी अब दिल्ली की तरह एलजी की अनुमति के बिना ट्रांसफर-पोस्टिंग नहीं हो सकेंगी। बता दें, गृह मंत्रालय ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 55 के तहत संशोधित नियमों को अधिसूचित किया है, जिसमें एलजी को अधिक शक्ति देने वाली नई धाराएं शामिल की गई हैं।
दरअसल, जब से जम्मू कश्मीर का पुनर्गठन हुआ है, तब से वहां चुनाव नहीं हुए हैं, लेकिन अब जम्मू-कश्मीर में जब भी चुनाव होंगे और सरकार का गठन होगा तो चुनी हुई सरकार से ज्यादा शक्तियां उपराज्यपाल को दी जाएंगी। ये शक्तियां ठीक दिल्ली के एलजी की तरह ही होंगी।
उपराज्यपाल इन मामलों पर भी ले सकेंगे फैसला
इस संशोधन के बाद अब उपराज्यपाल पुलिस, कानून-व्यवस्था और ऑल इंडिया सर्विस से जुड़े मामलों पर निर्णय ले सकेंगे। बता दें कि आने वाले सितंबर महीने में जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव होने हैं। इससे पहले केंद्र सरकार ने उपराज्यपाल की शक्तियों में इजाफा करके बड़े संकेत दे दिए हैं कि सरकार किसी की भी बने, लेकिन अंतिम निर्णय लेने की ताकत उपराज्यपाल (LG) के अधीन ही होगी।
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जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019 की धारा 55 के तहत संशोधित 42ए और 42बी नियमों में जो बिंदु जोड़ा गया है वो इस प्रकार है:-
42ए
कोई भी प्रस्ताव जिसके लिए अधिनियम के तहत ‘पुलिस’, ‘सार्वजनिक व्यवस्था’, ‘अखिल भारतीय सेवा’ और ‘भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो’ (ACB) के संबंध में वित्त विभाग की पूर्व सहमति जरूरी है, तब तक स्वीकृत या अस्वीकार नहीं किया जाएगा, जब तक कि इसे मुख्य सचिव के माध्यम से उपराज्यपाल के समक्ष नहीं रखा जाएगा।
42बी
अभियोजन स्वीकृति देने या अस्वीकार करने या अपील दायर करने के संबंध में कोई भी प्रस्ताव विधि विभाग द्वारा मुख्य सचिव के माध्यम से उपराज्यपाल के समक्ष रखा जाएगा।
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उमर अब्दुल्ला का बयान आया सामने
केंद्र के इस फैसले पर नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा, ‘एक और संकेत है कि जम्मू-कश्मीर में चुनाव नजदीक हैं। यही कारण है कि जम्मू-कश्मीर के लिए पूर्ण, अविभाजित राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए समयसीमा निर्धारित करने की दृढ़ प्रतिबद्धता इन चुनावों के लिए एक शर्त है। जम्मू-कश्मीर के लोग शक्तिहीन, रबर स्टैम्प सीएम से बेहतर के हकदार हैं, जिन्हें अपने चपरासी की नियुक्ति के लिए एलजी से भीख मांगनी पड़ेगी।