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उत्तराखंड में पहली बार लगी आदि चित्र प्रदर्शनी, इन राज्यों के शिल्पकार हुए शामिल

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Aadi Chitra Exhibition : मसूरी में 6 दिवसीय आदि चित्र (आदिवासी पेंटिंग) की प्रदर्शनी एवं बिक्री का आयोजन किया जा रहा है। इस तरह की प्रदर्शनी का आयोजन उत्तराखंड में पहली बार कराया हो रहा है। इस प्रदर्शनी में मध्य प्रदेश की गोंड पेंटिंग, उड़ीसा की सौरा और पट्टाचित्र पेंटिंग, महाराष्ट्र की वरली पेंटिंग और गुजरात की पिथौरा पेंटिंग का डिस्प्ले किया जाएगा। इस प्रदर्शनी में आदिवासी पेंटर ने लाइव पेंटिंग भी की। यह प्रदर्शनी जनजातीय कार्य मंत्रालय के अधीन ट्राईफेड द्वारा आयोजित की जा रही है।

प्रदर्शनी का शुभारंभ कार्यक्रम के मुख्य अतिथि जनजाति कल्याण निदेशालय के निदेशक एवं मुख्यमंत्री के अतिरिक्त सचिव संजय टोलिया ने किया। प्रदर्शनी के उद्घाटन के दौरान चकराता क्षेत्र से आए जौनसारी जनजाति कलाकारों ने वाद्य यंत्र की प्रस्तुति दी। प्रदर्शनी में विभिन्न राज्यों के जनजातीय कारीगरों और शिल्पकारों ने अपने द्वारा हस्तनिर्मित सर्वोत्तम उत्पादों का प्रदर्शन और बिक्री की। थारू, भोटिया, राजी और जौसरी जैसे जनजातीय कलाकारों की सांस्कृतिक प्रस्तुतियों ने दर्शकों का मन मोह लिया।

नगालैंड, झारखंड, पश्चिम बंगाल, असम, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मिजोरम, सिक्किम, राजस्थान, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड और अन्य राज्यों के कारीगरों और शिल्पकारों ने स्वदेशी हस्तनिर्मित उत्पादों की बिक्री करने के लिए उनका प्रदर्शन किया। उन्होंने विविध प्रकार के हस्तशिल्पों, आभूषणों, शीतकालीन पोशाकों, ट्राइबल फ्यूजन फैशन, चित्रकलाओं, कालीन, पारंपरिक दवाओं और अन्य चीजों का प्रदर्शन किया। ऐपन चित्रकारी और पॉटरी निर्माण जैसी जीवंत गतिविधियों का भी आयोजन किया गया।

संजय टोलिया ने कहा कि जनजातीय कलाकारों की प्रतिभा को बढ़ावा देने और उनकी कला को संरक्षित रखने के उद्देश्य से ट्राइफेड आदिचित्र का आयोजन करता है। प्रदर्शित चित्रों की बिक्री से जनजातीय कलाकारों को आय अर्जित होती है और उन्हें प्रोत्साहन मिलता है। उन्होंने यह भी कहा कि पारंपरिक संस्कृति और विरासत को बढ़ावा देने के लिए नियमित रूप से इस प्रकार के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। कहा कि प्रदर्शनी का आयोजन आत्मनिर्भर भारत और लोकल फॉर वोकल की भावना को आत्मसात करता है। विभाग की यह कोशिश थी कि जनजातीय कारीगरों और शिल्पकारों को अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने और उन्हें वित्तीय लाभ प्रदान करने के लिए एक मंच उपलब्ध कराया जाए।

जनजाति कल्याण निदेशालय के निदेशक ने कहा कि सरकार द्वारा देश की कला और संस्कृति को बढ़ावा देने, उन्हें एक छत के नीचे एकजुट करने और कारीगरों और शिल्पकारों को लाभ प्रदान करने की पहल है। संजय टोलिया ने कहा कि मसूरी में प्रदर्शनी लगाए जाने का मुख्य उद्देश्य यहां आने वाले पर्यटकों को जनजाति समुदाय के द्वारा बनाए गए उत्पादों से रूबरू किया जाना है, जिससे वह उत्पादों को खरीदें और उनके बारे में जानें। इससे जनजाति समुदाय को रोजगार के साधन उपलब्ध हो पाएंगे, जिससे वह आर्थिक रूप से मजबूत हो सके और देश के मुख्य धारा से जुड़ सके।

उन्होंने कहा कि जनजातियों के उत्थान के लिए ट्राइबल विभाग अलग से कार्य करता है। कहा कि ट्राइबल विभाग द्वारा वर्तमान में 16 आश्रम पद्धति स्कूल, चार एकलव्य स्कूल और तीन आईटीआई के साथ हॉस्टल्स संचालित किए जा रहे हैं। इसमें पूरे देश भर के जनजातियों के बच्चों को शिक्षा देने का काम किया जा रहा है और देश की मुख्य धारा में शामिल करने के लिए तैयार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में चार एकलव्य स्कूल खुल गए हैं। इसमें से दो जौनसार और दो उधम सिंह नगर में हैं। कहा कि जल्द ही एकलव्य स्कूल पौडी में खोलने की तैयारी चल रही है।


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