CJI D Y Chandrachud: सुप्रीम कोर्ट के 4 और हाईकोर्ट के 17 पूर्व जजों ने चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ को एक पत्र लिखा है। इस पत्र में उन्होंने कहा कि कुछ गुटों के द्वारा दबाव और गलत सूचना के जरिए न्यायपालिका को कमजोर करने का प्रयास किया जा रहा है। इसलिए इस पर आपको हस्तक्षेप करना चाहिए।
अदालतों और जजों की ईमानदारी पर उठ रहे सवाल
पूर्व जजों ने CJI को लिखे पत्र में कहा कि यह हमारे संज्ञान में आया है कि संकीर्ण राजनीतिक हितों और व्यक्तिगत लाभ से प्रेरित ये तत्व हमारी न्यायिक प्रणाली में जनता के विश्वास को कम करने का प्रयास कर रहे हैं। वे हमारी अदालतों और जजों की ईमानदारी पर सवाल उठाकर न्यायिक प्रक्रियाओं को प्रभावित करने का प्रयास कर रहे हैं।
न्यायपालिका की पवित्रता का हो रहा अनादर
पत्र में कहा गया है कि न्यायिक प्रकियाओं को बाधित करने के प्रयास न केवल हमारी न्यायपालिका की पवित्रता का अनादर करती हैं, बल्कि न्याय और निष्पक्षता के उन सिद्धांतों को भी सीधी चुनौती देती हैं, जिन्हें जजों ने कानून के संरक्षक के रूप में बनाए रखने की शपथ ली है।
पूर्व जजों ने पत्र पर किए हस्ताक्षर
सुप्रीम कोर्ट के जिन पूर्व जजों ने पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं, उनमें दीपक वर्मा, कृष्ण मुरारी, दिनेश माहेश्वरी और एमआर शाह शामिल हैं। लिस्ट में गुजरात, दिल्ली, राजस्थान, सिक्किम, झारखंड, मुंबई, इलाहाबाद, पंजाब और हरियाणा, उत्तराखंड और मध्य प्रदेश हाई कोर्ट के पूर्व जज शामिल हैं।
600 वकीलों ने भी CJI को लिखा था पत्र
इससे पहले, 600 वकीलों ने ऐसी ही चिंता को जाहिर करते हुए कुछ दिन पहले मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखा था। पत्र में कहा गया था कि कुछ समूहों द्वारा अपनाई गई रणनीति बेहद परेशान करने वाली है। यह समूह न्यापालिक की प्रतिष्ठा को खराब करने की कोशिश कर रहा है। वकीलों ने पत्र में कहा कि वे न्यायपालिका के खिलाफ जनता की भावनाओं को भड़काने के बारे में चिंतिंत हैं। यह न केवल अनैतिक है, बल्कि लोकतंत्र के मूलभूत सिद्धांतों के लिए हानिकारक भी है।