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अभिनेता टॉम ऑल्टर को किया याद, इस मशहूर खिलाड़ी का लिया था इंटरव्यू

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Actor Tom Alter Birth Anniversary : मशहूर अभिनेता टॉम ऑल्टर का शनिवार को 74वां जन्म दिवस मनाया गया। मसूरी कांग्रेस पार्टी द्वारा मसूरी शहीद स्थल पर आयोजित कार्यक्रम में टॉम ऑल्टर की तस्वीर पर पुष्प अर्पित कर उनको श्रद्धांजलि दी गई। इस मौके पर शहर कांग्रेस अध्यक्ष अमित गुप्ता ने कहा कि टॉम ऑल्टर मसूरी के थे और उनकी कई यादें मसूरी से जुड़ी हुई हैं। उन्होंने जहां फिल्मों में विभिन्न प्रकार के किरदार किए और फिल्म इंडस्ट्री में अपनी अलग पहचान बनाई।

शहर कांग्रेस अध्यक्ष अमित गुप्ता ने कहा कि टॉम ऑल्टर साल 1980 से लेकर 1990 के दशक तक स्पोर्ट्स जर्नलिस्ट भी रहे थे। वह पहले जर्नलिस्ट थे, जिन्होंने टीवी पर सचिन तेंदुलकर का इंटरव्यू लिया था। उस समय सचिन क्रिकेट में कदम रखने जा रहे थे। वहीं, उनको खेलों से भी लगाव था। उन्होंने कहा कि टॉम ऑल्टर को मसूरी से बहुत लगाव था और जब भी उनको फुरसत के कुछ पल अपने काम से मिलते थे, वे मसूरी आ जाते थे। टॉम ऑल्टर मसूरी में सामाजिक कार्य में सक्रिय थे। मसूरी में नगर पालिका परिषद द्वारा ऐतिहासिक घंटाघर के तोडे जाने का भी टॉम ऑल्टर ने विरोध किया था। इसके लिए उन्होंने घंटाघर स्थल पर एक दिवसीय धरना दिया था। इसके बाद प्रशासन ने घंटाघर का निर्माण किया।

उन्होंने कहा कि मसूरी में खेल मैदान का निर्माण किया जाना टॉम ऑल्टर एक सपना था। इसको लेकर उनके द्वारा स्टेडियम बनाए जाने को लेकर लगातार कवायत की गई, लेकिन मसूरी का भिलाडू स्टेडियम नहीं बन पाया। उनके द्वारा हर साल मसूरी में हाफ मैराथन का आयोजन किया जाता था। उनका सपना था कि वह फुल मैराथन कराए, लेकिन वह सपना भी पूरा नहीं हो पाया। अमित गुप्ता ने कहा कि मसूरी के लोगों द्वारा टॉम ऑल्टर के सपनों को पूरा करने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मसूरी में कई बड़ी शख्सियत हैं। ऐसे में उनकी यादों में एक संग्रहालय का निर्माण होना चाहिए, जिसमें टॉम ऑल्टर जैसी कई बड़ी शख्सियतों की यादों को संजोया जाए और आने वाली पीढ़ी को उनके बारे में पता लग सके।

बता दें, टॉम ऑल्टर का जन्म 22 जून 1950 को उत्तराखंड के मसूरी में हुआ था। उनका परिवार विभाजन के बाद दो हिस्सों में बंट गया था। 1916 में अमेरिका से उनके दादा-दादी मद्रास (चेन्नई) आ गए और कुछ वर्षों बाद पाकिस्तान के लाहौर में जा बसे। विभाजन के बाद टॉम ऑल्टर के दादा-दादी ने पाकिस्तान में रहना चुना और टॉम ऑल्टर के माता-पिता भारत आ गए। टॉम ऑल्टर शक्ल से पूरे अंग्रेज लगते थे, लेकिन अपने रंग रूप के विपरीत वे हिंदी बोलने में इतने अच्छे थे कि उन्हें भारत का ब्रॉन्ड एंबेसडर कहा जाता था। हिंदी के साथ ही उर्दू भाषा पर भी टॉम ऑल्टर की मजबूत पकड़ थी।


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