Loksabha Election 2024 : उत्तराखंड राज्य में महिला मतदाताओं की संख्या पुरुष मतदाताओं की तुलना में कम है। लेकिन, मतदान करने में महिलाएं हर बार पुरुषों से आगे रही हैं। ऐसे में लोकतंत्र के पर्व में राज्य के मैदान से लेकर पहाड़ तक की महिलाओं की भूमिका हमेशा की तरह किंग मेकर हो सकती है।
उत्तराखंड राज्य निर्माण से लेकर विकास तक आधी आबादी यानी मातृशक्ति की बड़ी भूमिका रही है। घर परिवार से लेकर खेती-किसानी तक की जिम्मेदारी का भार महिलाओं के कंधों पर ही है। गांवों के विकास के लिए भी व्यवहारिक समझ महिलाओं में अधिक दिखाई देती है और अब लोकतंत्र के सबसे बड़े पर्व में भी उत्तराखंड की महिलाओं की अहम भूमिका होने वाली है। लोकसभा चुनाव में 48 फीसदी महिला मतदाता हैं। जाहिर है कि कोई भी दल इन्हें नजरअंदाज करने का जोखिम नहीं उठाना चाहेगा। तमाम नेता अपने चुनाव प्रचार के दौरान भी इन्हीं महिला मतदाताओं को साधने की कोशिश कर रहे हैं। चुनावी भाषणों में महिलाओं की समस्याओं और उनके हितों को केंद्र में रखा जा रहा है।
उत्तराखंड की महिलाएं किसी से पीछे नहीं हैं, चाहे वो शिक्षा की बात हो या राजनीति की। प्रदेश में महिला साक्षरता दर 70 प्रतिशत है। साल 2019 में हुए चुनावों में महिला मतदाताओं ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था। चुनाव में कुल 58 प्रतिशत मतदान हुआ था। इसमें बड़ी संख्या महिला मतदाताओं की थी।
उत्तराखंड में पांचों लोकसभा सीट पर सांसद चुनने में पुरुषों के मुकाबले महिलाओं की अधिक रुचि रहती है। पिछले चुनाव का रिकॉर्ड देखें तो महिला मतदाताओं की संख्या ना केवल पुरुष मतदाताओं से अधिक है, बल्कि राज्य में 2004 से 2019 तक लोकसभा चुनावों में महिलाओं के मतदान प्रतिशत में 20% की वृद्धि देखी गई है।
आंकड़ों के अनुसार 2004 में पुरुषों का मतदान प्रतिशत 53.4% और महिलाओं का 44.9% था। इसी तरह 2009 में पुरुष मतदान 56.6% और महिला मतदान 51.1% था। हालांकि, 2014 में एक बड़ा बदलाव देखा गया। इसमें पुरुष मतदान 61.3% और महिला मतदान 63% था। इसी तरह 2019 में यह 58.8% और 64.3% था। पिछले 15 सालों के आंकड़े महिला मतदाताओं की वोटिंग में 20% की वृद्धि दिखाते हैं।
बता दें, उत्तराखंड में महिला मतदाताओं के इतने हाई प्रतिशत के पीछे एक प्रमुख कारण यह है कि वे मुद्दों से सीधे प्रभावित होती हैं। चाहे ज्यादा बारिश हो, फसल की क्षति हो, चारा इकट्ठा करने में चुनौतियां हों, ये सभी जिम्मेदारियां आमतौर पर ग्रामीण घरों में महिलाओं पर होती है। पिछले पांच साल में 14,972 महिला वोटर बढ़ी हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि 2024 में भी सांसद चुनने में नारी शक्ति की अहम भूमिका रहेगी। पहाड़ों की नारी शक्ति किसे सत्ता की चाबी सौंपती है, ये चुनाव के नतीजे ही बताएंगे।