Loksabha Election 2024 : चुनावी दौर में प्रत्याशी विकास, रोजगार, स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं को लेकर जनता के बीच जाकर बड़े-बड़े दावे कर उनसे से वोट अपने पक्ष में करने की मांग करते हैं। लेकिन, चुनाव जीतने के बाद नेता जनता से किए वादे भूल जाते हैं, जिससे जनता अपने आप को ठगा सा महसूस करती है। आइए बात करते हैं टिहरी लोकसभा सीट की।
टिहरी लोकसभा सीट पहाड़ी और मैदानी क्षेत्र से मिलकर बनी है। यहां के लोगों का कहना है कि प्रत्याशी जब जीतकर सांसद बन जाता है तो उसका फोकस केवल मैदानी क्षेत्र तक ही सीमित रह जाता है और पहाड़ी क्षेत्र भूल जाता है। लोगों का कहना है कि नेता चुनावी दौर में ही पहाड़ का रूख केवल वोट मांगने के लिए करते हैं। वह चुनाव प्रचार-प्रसार के समय ही पहाड़ में दिखाई देते हैं और चुनाव जीतने के बाद कभी भी टिहरी की तरह मुड़कर नहीं देखते हैं।
टिहरीवासियों का कहना है कि विकास तो बहुत दूर की बात रही। नेताओं का फोकस देहरादून और दिल्ली तक ही रहता है, जिससे उनमें नेताओं के खिलाफ आक्रोश है। लोगों ने कहा कि टिहरी जिले में शिक्षा, स्वास्थ्य, सड़क जैसी मूलभूत समस्याओं से अभी भी जूझ रहे हैं। नेता चुनाव के समय वादे तो बहुत करते हैं। लेकिन, जीतने के बाद इन वादों को भूल जाते हैं। आज भी इन समस्याओं से जूझने को मजबूर हैं।