ये आपधापी, ये धक्का मुक्की, हाथों में लाठियां और जुबां पर तीखे शब्द। ग्रामीणों का ये गुस्सा उस आदमखोर के आतंक के खिलाफ है, जो दबे पांव रिहायशी इलाकों में घुस आया है और आए दिन लोगों को अपना निवाला बना रहा है। गुस्साए ग्रामीणों की भीड़ के बीच फंसे ये साहब रामनगर जिम कार्बेट नेशनल पार्क के रेंज अधिकारी है। रामनगर इलाके में आज कल दिन के उजाले में भी दहशत फैली है। शाम होते ही लोग घरों में कैद हो जा रहे हैं। इस आतंक का पर्याय एक आदमखोर बाघ है, जिसके इंसानी खून लगा गया है।
शनिवार को रामनगर के रेंज के ढेला गांव में 50 साल की महिला गांव की तीन और महिलाओं के साथ जंगल में लकड़ियां और घास तलाश में गई थी। जंगल में पहले से घात लगाए बैठे आदमखोर बाघ ने महिला पर हमला कर दिया। उसकी दहाड़ सुनकर साथ में गई महिलाएं शोर मचाते हुए भाग खड़ी हुईं। 50 वर्षीय महिला को बाघ करीह दो किलोमीटर तक घसीटते हुए ले गया। इधर ग्रामीणों की सूचना पर वन विभाग की टीम भी मौके पर पहुंची। बाघ के हमले में मारी गई महिला के शव को तलाश करने के लिए सर्च ऑपरेशन चलाया गया, काफी देर तक तलाश करने के बाद आखिरकार घटना के करीब दो किलोमीटर दूर महिला का लहू लुहान शव मिला। महिला का शव देखकर ग्रामीणों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। ढेला गांव की इसी गुस्साई भीड़ के साथ रामनगर वन रेंज के अधिकारी अजय ध्यानी की धक्का मुक्की होती रही।
ग्रामीणों के मुताबिक ये बाघ कई महीनों से खुली हवा में घूम रहा है। शनिवार की घटना से पहले भी ये आदमखोर तीन जिंदगियां निगल चुका था। प्रशासन से गुहार के बावजूद बाघ को लोगों को निवाला बनाता गया और वन विभाग हाथ पर हाथ धरे बैठा रह गया। ढेला में बाघ के इसी आंतक के खिलाफ आक्रोशित ग्रामीणों ने प्रशासन को खुली चेतावनी दे दी है। साथ ही आदमखोर के डेथ वारंट की मांग भी की गई है।
चार चार जिंदगियों को निगलने वाले बाघ को मौके पर मौत घाट उतार देने की मांग तेज हो रही है। ग्रामीण इलाकों में लंबे समय से हवा में फैले इस आदमखोर बाघ के आतंक को साफ महसूस किया जा सकता है।
कई बार की नाकाम कोशिश के बाद प्रशासन फिर से वही तरकीब अपना रहा है। कई बार की तरह ये पिंजरा एक बार फिर बाघ का इंतजार कर रहा है। प्रशासन की तरफ मौत के इस आंतक के खात्मे के लिए कई कोशिशें की जा चुकी हैं। लेकिन हर बार बाघ चकमा देकर निकल जाता है और कुछ दिनों बाद फिर से कोई न कोई इस नरभक्षी का निवाला बन जात है। देखना होगा कि प्रशासन कब तक इस बाग को पिंजरे में कैद कर इंसानी आबादी में फैली दहशत का खात्मा कर पाता है।