Shravan Kumar of Kalyug: आपने कई बार श्रवण कुमार जैसे बेटों कहानियां सुनी और पढ़ी होगी। आज हम आपको दो भाइयों की कहानी बताएंगे, जो इस कलयुग में अपनी मां को कंधे पर बैठाकर चारधाम की पैदल यात्रा कराने निकले हैं। ये दो भाई उत्तर प्रदेश के बदायूं के हैं।
मां को पालकी में बैठाकर करा रहे चारधाम यात्रा (Shravan Kumar of Kalyug)
उत्तर प्रदेश के बदायूं के दो भाई धीरज और तेजपाल अपनी माता राजेश्वरी को चारधाम की यात्रा कराने के लिए पालकी में बैठाकर पैदल यात्रा पर निकल पड़े हैं। जब भी कोई अपने बच्चों को अपने माता-पिता की सेवा करने के लिए प्रेरित करता है तो वह बच्चों को श्रवण कुमार की ही कहानी सुनाता है। हर माता-पिता चाहते हैं, कि उनकी संतान श्रवण कुमार जैसी हो। लेकिन आज के कलयुग में ऐसी कई घटनाएं होती है जिसमें बच्चे अपने माता-पिता को बहुत दुख देते नजर आते हैं। लेकिन ऐसे में बेटों द्वारा मां को चारधाम यात्रा पालकी से कराना एक सुखद खबर है।
बदायूं के रहने वाले हैं दोनों भाई (Shravan Kumar of Kalyug)
उत्तर प्रदेश के बदायूं जिले के ग्राम नूरपुर गांव के रहने वाले धीरज और तेजपाल अपनी माता राजेश्वरी के लिए श्रवण कुमार बने हैं। दोनों अपनी माता को पालकी में बैठाकर चारधाम यात्रा करा रहे हैं। दोनों भाइयों ने अपनी माता के लिए पालकी बनाई और उसमें मां को बैठाकर अपने कंधों पर पालकी उठाकर पैदल चारधाम यात्रा कराने निकल पड़े हैं। धीरज कुमार ने बताया कि कई वर्ष से हम कांवड़ लेकर आ रहे हैं। इस बार मन में विचार आया की मां को चारधाम की यात्रा कराएंगे।
आठ मार्च को पहुंचे हरिद्वार (Shravan Kumar of Kalyug)
भाई तेजपाल ने बताया कि हम दोनों भाइयों की इच्छा थी कि मां को चारधाम यात्रा कराई जाए। हम 18 फरवरी को मां को पालकी पर बैठाकर घर से निकले हैं। आठ मार्च को हम हरिद्वार पहुंचे। मां को चारधाम की यात्रा कराकर शनिवार देर रात को सुल्तानपुर पट्टी पहुंचे और अब अयोध्या धाम के लिए निकल रहे हैं।
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