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सांसद ने नहीं की मुलाकात तो भड़के किसान, कलेक्ट्रेट में किया प्रदर्शन

ऊधम सिंह नगर के MP Ajay Bhatt के खिलाफ किसानों ने कलेक्ट्रेट में प्रदर्शन करते हुए जमकर नारेबाजी की। किसानों ने सांसद पर कई आरोप लगाए।
farmers protest against udham singh nagar mp ajay bhatt

ऊधम सिंह नगर में सांसद अजय भट्ट (Udham Singh Nagar MP Ajay Bhatt) के न मिलने से नाराज किसानों ने कलेक्ट्रेट में धरना प्रदर्शन किया। ये किसान संयुक्त किसान मोर्चा के आह्वान पर ज्ञापन देने पहंचे हुए थे। किसानों ने सांसद के खिलाफ नारेबाजी और ज्ञापन की प्रतियां जलाईं। उन्होंने सांसद को किसान और मजदूर विरोधी बताया।

MP Ajay Bhatt का किसानों ने डेढ़ घंटे तक किया इंतजार

दरअसल, गुरुवार को किसानों ने अपनी मांगों को लेकर बगवाड़ा मंडी में बैठक की। इसके बाद वे सांसद को ज्ञापन देने कलेक्ट्रेट पहुंचे। यहां पता चला कि सांसद जी बैठक में व्यस्त हैं। इस पर किसानों ने डेढ़ घंटे तक इंतजार किया। इसके बाद उनके सब्र का बांध टूट पड़ा और उन्होंने कलक्ट्रेट परिसर में प्रदर्शन करना शुरू कर दिया।

MP Ajay Bhat पर किसानों ने लगाए गंभीर आरोप

बता दें कि 10 जुलाई को संयुक्त किसान मोर्चा की दिल्ली में बैठक हुई थी। इस बैठक में देशभर के सभी सांसदों को मांग पत्र देने का फैसला लिया गया था। इसी सिलसिले में किसान ज्ञापन देने के लिए सांसद से मिलने आए थे, लेकिन सांसद बैठक में बिजी रहे। इससे किसान भड़क उठे। उन्होंने सांसद पर जनता और किसानों की उपेक्षा करने का आरोप लगाया और कहा कि जब सांसद सुन ही नहीं रहे हैं तो ज्ञापन देने का क्या फायदा है।

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किसानों ने की ये मांग

किसानों का यह भी आरोप है कि वे सांसद के प्रतिनिधि से समय लेकर मिलने आए थे। वे बाजपुर के किसानों, मजदूरों और व्यापारियों के छीने गए भूमिधरी अधिकार को तत्काल वापस किए जाने, बाढ़ प्रभावित को 50 हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवजा देने, गन्ना मूल्य 500 रुपये प्रति क्विंटल करने, किसान पेंशन की राशि 10 हजार रुपये प्रति एकड़ के हिसाब से मुआवाज देने समेत कई मांगों को लेकर ज्ञापन देना चाहते थे।

किसानों की मांग है कि छत्तीसगढ़, ओडिशा और केरल आदि प्रदेशों की तरह यहां भी धान का मूल्य 3150 रुपये क्विंटल दिया जाए। इसके साथ ही, जंगली जानवरों से प्रभावित किसानों को मोटर दुर्घटना बीमा की तरह मुआवजा दिया जाए। किसानों की यह भी मांग है कि उत्तर प्रदेश की तर्ज पर उत्तराखंड में भी पारिवारिक भूमि हस्तांतरण कानून हो।

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किसानों का कहना है कि सीलिंग भूमि आवंटन नियमावली में संशोधन गैर संवैधानिक है। यह किसानों, मजदूरों और आम नागरिक के हितों के खिलाफ है। इसलिए संशोधन निरस्त कर देना चाहिए।


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