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उत्तराखंड वानिकी अनुसंधान संस्थान ने 800 से अधिक पेड़-पौधों को किया संरक्षित

World Biodiversity Day 2024:: उत्तराखंड वानिकी अनुसंधान संस्थान की मेहनत रंग लाई है। यहां 800 से अधिक पेड़-पौधों को संरक्षित किया गया है।
world biodiversity day 2024 Uttarakhand Forestry Research Institute Shresth Uttarakhand

World Biodiversity Day 2024: उत्तराखंड वानिकी अनुसंधान संस्थान, हल्द्वानी विंग जैव विविधता के क्षेत्र में पूरे देश में पहचान बन चुका है। यहां करीब 18 एकड़ में 800 से अधिक प्रजातियों के पेड़-पौधों को संरक्षित करने का काम कर रहा हैं। इसमें बहुत सी प्रजातियां ऐसी हैं, जो विलुप्त होने के कगार पर है। अनुसंधान संस्थान औषधि पौधों के संरक्षण के क्षेत्र में भी उपलब्धि हासिल कर रहा हैं।

उत्तराखंड का सबसे बड़ा बायोडायवर्सिटी पार्क है अनुसंधान केंद्र

जैव विविधता के साथ-साथ अनुसंधान संस्थान उत्तराखंड का सबसे बड़ा बायोडायवर्सिटी पार्क है। यहां जैव विविधता को बचाने के लिए अनुसंधान संस्थान में ही कछुआ, बतख, मधुमक्खी, तितलियों और पक्षियों के संरक्षण की व्यवस्था है। इससे लोग जैव विविधता के साथ पक्षियों का भी दीदार कर इनकी विशेषता जान सकेंगे।

अनुसंधान संस्थान में बनाई गई पुलवामा शहीद वाटिका

अनुसंधान संस्थान में एक जैव विविधता पार्क और गैलरी विकसित की गई है। इस पार्क में धार्मिक, आध्यात्मिक, स्वास्थ्य सम्बन्धी वाटिका, बुद्ध वाटिका और पुलवामा शहीद वाटिका भी बनाई गई हैं। इस बायो डायवर्सिटी पार्क में 50 से ज्यादा औषधीय पौधों की भी प्रजातियां भी शामिल हैं। वहीं, बायोडायवर्सिटी गैलरी में थ्रीडी के माध्यम से वनस्पतियों और वन्यजीवों की फोटो समेत पूरी जानकारी को विस्तार से दर्शाया गया है। गैलरी में विलुप्त होते 101 जीव-जंतुओं के साथ-साथ दुर्लभ वनस्पतियों को शामिल किया गया है।

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मसालों के पौधों को किया गया संग्रहित

जुरासिक काल की वनस्पतियों की जानकारी के लिए अनुसंधान संस्थान में एक जुरासिक पार्क व मसालों के पौधों को संग्रहित किया गया है। संस्थान में जड़ी-बूटियां, झाड़ियां, बांस, बेंत, घास, फर्न, साइकस, ऑर्किड, साइकैड के अलावा जलीय पौधे, कीटभक्षी पौधे, लाइकेन और ब्रायोफाइट्स जैसे भारी संख्या में पेड़ पौधे शामिल हैं।

उत्तराखंड वानिकी अनुसंधान संस्थान ने जैव विविधता के लिए किए अनूठे प्रयास

उत्तराखंड वानिकी अनुसंधान संस्थान ने जैव विविधता के लिए चीन सीमा से सटे देश के पहले गांव माणा से लेकर मुनस्यारी तक अनूठे प्रयास किए हैं। हर्बल गार्डन, आर्किड गार्डन, लाइकेन गार्डन, पाम गार्डन, एरोमेटिक गार्डन, क्रिप्टोमेटिक गार्डन व फर्न प्रजाति संरक्षण केंद्र भी विकसित किए हैं। संस्थान के मुताबिक, यहां संरक्षित प्रजातियों का दुर्लभता, औषधीय और स्थानीयता के हिसाब से खासा महत्व है।

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ताजमहल, लाल किला और राष्ट्रपति भवन की शान बढ़ा रहे अनुसंधान संस्थान के पौधे

वन संरक्षक संजीव चतुर्वेदी के नेतृत्व में उत्तराखंड वानिकी अनुसंधान संस्थान कई नजीर पेश कर चुका है। संस्थान की पहचान उत्तराखंड के साथ-साथ देश और विदेशों में भी है। यहां के पौधे उत्तराखंड के साथ-साथ ताजमहल, लाल किला, दिल्ली यूनिवर्सिटी और राष्ट्रपति भवन सहित कई महत्वपूर्ण स्थानों की शान बढ़ा रहे हैं। वहीं, जैव विविधता दिवस के मौके पर अनुसंधान संस्थान में पेंटिंग प्रतियोगिता और जागरूकता अभियान चलाकर जैव विविधता संरक्षण के लिए जागरूक किया गया गया।


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