Shri Lanka Tapu Village Uttarakhand: श्रीलंका टापू नाम सुनकर आपके मन में पड़ोसी देश श्रीलंका का नाम सामने आता होगा, लेकिन उत्तराखंड के नैनीताल जिले के लालकुआं क्षेत्र अंतर्गत श्रीलंका टापू एक ऐसा गांव है, जिसका संपर्क मानसून के दौरान जिला मुख्यालय से टूट जाता है। इसको देखते हुए जिला प्रशासन मानसून सीजन के दौरान वहां के लोगों के लिए खाने-पीने का इंतजाम करने के साथ साथ-साथ उनकी सुरक्षा की व्यवस्था करने में जुट गया है।
Shri Lanka Tapu Village में रहता है 50 परिवार
मानसून के समय श्रीलंका टापू गांव के लोगों के लिए जिला प्रशासन ने सभी तैयारियां पूरी कर ली हैं। इस गांव में करीब 50 परिवार रहते हैं, जो पिछले कई दशकों से निवास करते हैं। श्रीलंका टापू गांव गौला नदी के बीच टापू पर बना गांव है, जहां बरसात में नदी के आ जाने से लोगों का संपर्क गांव से टूट जाता है।
Shri Lanka Tapu Village के लोगों को दी गई तीन महीने की रसद सामग्री
उप जिलाधिकारी परितोष वर्मा ने बताया कि मानसून सीजन के मद्देनजर ग्रामीणों को 3 महीने की अग्रिम दवाइयां, रसद सामग्री आदि मुहैया कराया गया। साथ ही, आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए गांव में अस्थाई हेलीपैड भी तैयार कराया गया है।
उप जिलाधिकारी ने कहा कि अगर बरसात में गौला नदी श्रीलंका टापू गांव को खतरा पहुंचाती है तो वहां के लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए हेलीकॉप्टर का सहारा लिया जाएगा, जिसके लिए हेलीपैड का निर्माण कराया गया है।
गौला नदी के बीचो-बीच बना है श्रीलंका टापू गांव
गौरतलब है कि हल्द्वानी से 30 किलोमीटर दूर स्थित श्रीलंका टापू गांव गौला नदी के बीचो-बीच बना गांव है। इस गांव में वर्षों से करीब 50 परिवार रहते हैं। बरसात के दौरान कई बार इस गांव पर बाढ़ का खतरा मंडराता है, जिसके बाद जिला प्रशासन यहां के लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने के लिए कई बार रेस्क्यू करता है, जिसके मद्देनजर जिला प्रशासन ने अस्थाई हेलीपैड तैयार कराया है।
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गौली नदी में 1985 में आई भयंकर बाढ़
बताया जाता है कि 12 और 13 अक्तूबर 1985 को गौला नदी में भयंकर बाढ़ आई। नदी ने अपनी दिशा बदलते हुए खुरिया खत्ता गांव को काटना शुरू कर दिया। खुरिया खत्ता दो भागों में बंट गया। नदी ने खुरिया खत्ता के एक भाग को टापू बना दिया। बाद में लोग इसे श्रीलंका टापू कहने लगे। उत्तराखंड का यह गांव आज श्रीलंका टापू के नाम से जाना जाता है।
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