CM Dhami Bagwal Mela: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को रक्षाबंधन के अवसर पर चंपावत जिले के देवीधुरा स्थित मां वाराही धाम में लगने वाले बग्वाल मेले में प्रतिभाग किया। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने मां वाराही मंदिर में घंटी चढ़ाई और राज्य की खुशहाली एवं तरक्की की कामना की।
इस वर्ष विश्व प्रसिद्ध पाषाण युद्ध (बग्वाल) करीब 11 मिनट तक चला। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर घोषणा की, कि रीठा में रतिया नदी में बाढ़ सुरक्षा का निर्माण कार्य और वैकल्पिक एप्रोच रोड का निर्माण कार्य किया जायेगा। इसके साथ ही, मानसखण्ड कॉरिडोर के अन्तर्गत वाराही मंदिर के छूटे हुए अवस्थापना कार्यों को शामिल किया जाएगा।
‘लोक संस्कृति, आस्था और परंपराओं का संगम है बग्वाल मेला’
सीएम धामी ने विभिन्न विभागों द्वारा लगाए गए स्टॉलों का अवलोकन भी किया। उन्होंने सभी को रक्षाबंधन की शुभकामनाएं देते हुए सभी देवी-देवताओं को नमन किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि देवीधुरा के ऐतिहासिक और रमणीक क्षेत्र में आकर स्वयं को अभिभूत महसूस कर रहा हूं। बग्वाल मेला हमारी लोक संस्कृति, आस्था और परंपराओं का संगम है। यह मेला हमारी संस्कृति और परंपराओं को बढ़ावा देने के साथ ही हमारी संस्कृति का भी संवर्धन करता है।
सीएम धामी ने कहा कि पुरानी परंपराओं को निभाने और आगे बढ़ाने की ऊर्जा आने वाली पीढ़ी को मिलते रहनी चाहिए। पीढ़ी दर पीढ़ी लोक संस्कृति को आगे बढ़ाना हम सभी का कर्तव्य है। मुख्यमंत्री ने कहा कि देवभूमि के कण-कण में देवताओं का वास है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हमारी सरकार देवभूमि की सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के साथ ही पौराणिक स्थलों का भी संवर्धन कर रही है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मानसखंड मंदिर माला मिशन के अंतर्गत कुमाऊं क्षेत्र के पौराणिक मंदिरों का सौंदर्यीकरण हो रहा है। देवीधुरा भी इस मिशन का महत्वपूर्ण भाग है। उन्होंने कहा कि चार धामों के साथ ही मानसखंड में मंदिरों को भी रोपवे से जोड़ने का कार्य जारी है। मां पूर्णागिरि धाम को रोप-वे से जोड़ा जा रहा है। मानसखंड यात्रा के तहत विशेष ट्रेन भी चलवाई जा रही हैं।
इस दौरान मुख्यमंत्री द्वारा लोक कलाकार गिरीश बरगली द्वारा तैयार ‘जय मां वाराही’ वीडियो को लांच किया गया। इस अवसर पर सीएम धामी द्वारा हेलीपैड के निकट जीआईसी परिसर देवीधुरा में पौधरोपण भी किया गया।
चंपावत में हर साल रक्षाबंधन पर देवीधुरा स्थित मां वाराही देवी मंदिर परिसर में बग्वाल मेले का आयोजन होता है। इस बार भी आषाढ़ी कौतिक के मौके पर 50 हजार से ज्यादा लोग बग्वाल मेले पहुंचे, जहां दशकों से चली आ रही बग्वाल युद्ध का आयोजन किया गया। इसमें फूल-फल और पत्थरों से युद्ध को खेला गया। चारों खामों (बिरादरी) के रणबांकुरों ने करीब आठ मिनट तक फूल, फल और पत्थरों से युद्ध किया। युद्ध में 200 से अधिक रणबांकुरे घायल हुए, जिनको इलाज के बाद घर भेज दिया गया।
बग्वाल मेला क्यों आयोजित किया जाता है?
मान्यता है अतीत काल में यहां नरबलि देने की प्रथा थी, लेकिन जब चम्याल खाम की एक वृद्धा के एकमात्र पौत्र की बलि देने की बारी आई तो वंश नाश के डर से उसने मां बाराही की तपस्या की। माता के प्रसन्न होने पर वृद्धा की सलाह पर चारों खामों के मुखियाओं ने आपस में युद्ध कर एक मानव के बराबर रक्त बहाकर पूजा करने की बात स्वीकार की। तभी से ही बग्वाल का सिलसिला चला आ रहा है।
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2022 में राजकीय मेला घोषित हुआ बग्वाल मेला
राज्य सरकार साल 2022 में चंपावत के प्रसिद्ध देवीधुरा मां वाराही बग्वाल मेले को राजकीय मेला घोषित किया था। इसके बाद से हर साल इस मेले को भव्य रूप से मनाया जाता है।