श्रेष्ठ उत्तराखण्ड (ShresthUttarakhand) | Hindi News

Follow us

Follow us

Our sites:

|  Follow us on

रक्षाबंधन पर्व पर ब्रह्मकमल, भोजपत्र और केदारपाती से युक्त राखियां बढ़ाएंगी कलाई की शोभा

Raksha Bandhan

Raksha Bandhan: राज्यपुष्प ब्रह्मकमल, देववृक्ष भोजपत्र और दिव्य सुगंध से युक्त केदारपाती इस बार रक्षा बंधन के पर्व पर भाई-बहन के स्नेह के अटूट बंधन का भी प्रतीक बनने जा रहे हैं। उत्तरकाशी जिले के स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं ने इन दुर्लभ हिमालयी वनस्पतियों को राखी की डोर में जोड़कर इस बार रक्षा बंधन को नया आयाम दिया है।

ब्रह्मकमल, भोजपत्र और केदारपाती से सजी इन अनूठी राखियों को लेकर आम लोगों में काफी आकर्षण देखा जा रहा है।जिलाधिकारी डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट और मुख्य विकास अधिकारी जय किशन ने इन अनूठी राखियों को खरीद कर महिला समूहों के प्रयासों को न केवल सराहा, बल्कि उन्हें विणपन के लिए यात्रा मार्ग पर बेहतर सुविधा और स्थान उपलब्ध कराने का भी भरोसा दिलाया है।

मुख्यमंत्री सशक्त बहना योजना के तहत राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन तथा ‘रीप‘ के द्वारा जिले के स्वयं सहायता समूहों की सदस्य महिलाओं को आजीविका के बेहतर अवसर उपलब्ध कराकर उन्हें सशक्त बनाने के लिए जिले में 4448 समूहों का गठन किया गया है।

इनमें से कुछ समूह सक्रियता से कार्य कर अभिनव पहल करने में जुटे हुए हैं। ऐसे ही समूहों में सीमांत गांव धराली की सोमेश्वर स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं ने इस बार Raksha Bandhan पर्व को देखते हुए ब्रह्मकमल, भोजपत्र और केदारपाती से युक्त राखियां तैयार कर आज पहली बार कलक्ट्रेट परिसर में स्थापित स्टॉल के माध्यम से प्रदर्शन व बिक्री के लिए प्रस्तुत किया।

मां दुर्गा स्वयं सहायता समूह ने ताला की महिलाओं द्वारा निर्मित ‘गंगा डॉल‘ राखी भी स्टॉल पर उपलब्ध कराई गई। हिमालयी वनस्पतियों तथा स्थानीय रेशों से बनी इन पर्यावरण हितैषी राखियों को लेकर आम लोगों में काफी उत्सुकता देखी जा रही है।
पहले ही दिन काफी लोगों ने इन राखियों की खरीद कर पर्यावरण व परंपरा के प्रति अपने अनुराग को प्रदर्शित करने के साथ ही महिला समूहों की अभिनव पहल को जमकर सराहा।

उल्लेखनीय है कि जिले की महिला समूहों ने पिछले साल से ‘गंगा डॉल‘ राखी बनाने की शुरूआत की थी और इससे पहले पिरूल की राखियां बनाकर भी महिला समूहों ने खूब वाहवाही बटोरी थी।

सरकारी समर्थन व सहयोग से महिला समूहों के यह उत्पाद अब ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर भी बिक्री के लिए उपलब्ध हैं। जिलाधिकारी डॉ. मेहरबान सिंह बिष्ट ने कलक्ट्रेट परिसर में महिला समूहों की राखियों एवं अन्य उत्पादों के प्रदर्शन एवं बिक्री का शुभारंभ किया।

Raksha Bandhan 2024: भद्रा काल में क्यों नहीं बांधी जाती राखी? जानें वजह

इस दौरान उन्होंने कहा कि महिला समूहों के प्रयासों का बेहतर प्रतिफल उपलब्ध कराने के लिए इस तरह की गतिविधियां यात्रा मार्गों पर स्थाई रूप से संचालित करने की व्यवस्था की जाएगी। ताकि महिलाओं के सशक्तिकरण के प्रयासों को टिकाऊ आधार प्रदान किया जा सके।

इसके लिए जिले में पहले चरण में प्रमुख यात्रा पड़ावों पर दस प्रदर्शन एवं बिक्री केन्द्र स्थापित कराए जाएंगे। इस मौके पर जिलाधिकारी ने राखियों एवं अन्य उत्पादों की भी खरीद की और स्वयं सहायता समूहों की महिलाओं ने जिलाधिकारी को राखी बांधी।

मुख्य विकास अधिकारी जय किशन ने बताया कि स्वतंत्रता दिवस एवं रक्षा बंधन के उपलक्ष्य में स्थानीय स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा तैयार की जा रही राखी एवं स्थानीय उत्पादों के प्रदर्शन एवं बिक्री के लिए कलेक्ट्रेट परिसर, विकास भवन लड़ादी तथा प्रत्येक विकासखंड के मुख्यालय परिसर में स्टॉल लगाए गए हैं। यह स्टॉल आगामी 18 अगस्त तक संचालित होंगे।

उत्तराखंड के इन 9 जिलों में भारी बारिश का अलर्ट, बरतें सावधानियां


संबंधित खबरें

वीडियो

Latest Hindi NEWS

accident in mussoorie | car accident in mussoorie |
मसूरी में अनियंत्रित होकर कार खाई में गिरी, युवती सहित तीन लोग घायल
asaduddin owaisi | kali sena chief swami anand swaroop | cm pushkar singh dhami |
ओवैसी के 15 मिनट वाले बयान पर साधु-संत नाराज, उन्हीं की भाषा में दिया जवाब
guru nanak jayanti | cm pushkar singh dhami |
धूमधाम से मनाई गई गुरु नानक देव की जयंती, मशहूर इतिहासकार ने दी महत्वपूर्ण जानकारी
kedarnath byelection 2024 | cm pushkar singh dhami |
कांग्रेस ने दिल्ली केदारनाथ मंदिर मामले को दिया तूल तो तीर्थ पुरोहितों ने दिया जवाब
land mafia eye on dilaram state | mussoorie dilaram state |
भूमाफिया के हौसले बुलंद, दिलाराम स्टेट के गेट पर लगाया ताला, लोगों ने किया हंगामा
kartika purnima ganga snan | ganga snan | har ki pauri |
कार्तिक पूर्णिमा पर गंगा स्नान के लिए उमड़े श्रद्धालु, जानिए आज के दिन का महत्व