Save Ancestral Land Campaign: टिहरी में बाहरी लोगों के द्वारा बढ़ते जमीन खरीद फरोख्त के मामलों को लेकर अब ग्रामीण एकजुट होने लगे हैं। इस समस्या से निपटने के लिए अब महापंचायतों का दौर शुरू हो गया है। अब इन महापंचायतों के जरिए ग्रामीणों ने पैतृक भूमि बचाओं आंदोलन की शुरूआत कर दी है।
ग्रामीणों का कहना है कि गांवों के आसपास बाहरी लोगों द्वारा जमीन फरोख्त कर यहां का शांतिपूर्ण माहौल बिगाड़ने का काम किया जा रहा है।
जनपद टिहरी के चंबा और थौलधार विकास खंड में लगातार बढ़ते जमीन खरीद फरोख्त के मामलों को लेकर जहां कुछ लोगों ने गहरी चिन्ता जताई और खुली बैठक कर इस पर पाबंदी लगाए जाने की बात कही।
वहीं अब अन्य गांव के लोग भी जमीन खरीद फरोख्त के मामलों को लेकर मुखर होते दिखाई दे रहे हैं। चंबा के तानगला में हुई महापंचायत में इसे पैतृक भूमि बचाओ मुहिम का नाम दिया गया।
जिसमें चंबा और थौलधार ब्लॉक के गुल्डी, धारकोट, दिखोलगांव, कोट, इंडर, डडूर, सेलूर, बौर, बेरगणी, किरगणी, डाबरी सहित करीब 3 दर्जन से अधिक गांवों के ग्रामीण इस मुहिम से जुड़े।
ग्रामीणों का कहना है कि बाहरी लोगों द्वारा ग्रामीणों की मजबूरी का फायदा उठाकर और बहला फुसलाकर उनकी जमीन हथियाने का जो खेल किया जा रहा है, उसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
पहाड़ों में परिवार की रोजी-रोटी चलाने को लेकर अधिकांश लोग रोजगार के सिलसिले में गांव से बाहर रहते हैं, लेकिन जब उन्हें भी इस मुहिम का पता चला तो वो भी अपना कामकाज छोड़ इस मुहिम से जुड़ने अपने गांव पहुंचे।
उनका कहना है कि भले ही वो रोजी-रोटी के लिए बाहर हैं, लेकिन वो अपनी जमीन से जुड़े हैं। वहीं युवाओं का कहना है कि बाहरी लोगों द्वारा जमीन खरीदते समय ग्रामीणों को रोजगार और विकास के सपने दिखाए जाते है, लेकिन बाद में हकीकत कुछ और ही निकलती है। सरकार को इसकी जांच कर कार्रवाई करनी चाहिए।
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