उमंग एवं रंगों के त्योहार होली पर हर आयु वर्ग के लोग जमकर रंगों का प्रयोग करते हैं। लेकिन, रंगों के पर्व होली में प्रयोग किए जाने वाले रंग कई बार त्वचा के लिए घातक साबित होते हैं। इसलिए, अब लोगों की दिलचस्पी प्राकृतिक रंगों की ओर बढ़ने लगी है। इसी का परिणाम है कि होली पर बाजारों में प्राकृतिक रंगों की डिमांड होने लगी है। इसी को लेकर जनपद टिहरी के रानीचौरी निवासी उद्यमी बहुगुणा दम्पति ने हर्बल गुलाल बनाने की ढानी और करीब 10 क्विंटल हर्बल रंग बनाने में जुट गए।
बहुगुणा दम्पति का कहना है कि 15 मार्च तक 10 क्विंटल प्राकृतिक रंग बाजार में भेज देंगे। अभी उनके पास टिहरी सहित ऋषिकेश, देहरादून से होली के लिए प्राकृतिक रंगों की डिमांड आ रही है। यहां तक कि दिल्ली जैसे महानगर से भी उनके पास रंग खरीदने के लिए ऑनलाइन डिमांड आ रही है।
रानीचौरी निवासी उद्यमी सुषमा बहुगुणा एवं उनके पति संजय बहुगुणा इन दिनों 6 अन्य महिलाओं की सहायता से हर्बल गुलाल तैयार करने में जुटे हैं। उन्होंने गेंदा, गुलाब, गाजर, चुकंदर, नीम की पत्ती, पालक, अरारोट, मुल्तानी मिट्टी सहित अन्य प्रकार के फूलों से 6 अलग-अलग तरह के करीब चार क्विंटल प्राकृतिक रंग तैयार कर किया है। बहुगुणा दम्पति का कहना है कि यह प्राकृतिक रंग शरीर को किसी भी प्रकार का नुकसान नहीं पहुंचता है। क्योंकि, इन रंगों को बनाने में किसी भी प्रकार का केमिकल का प्रयोग नहीं किया गया है।
उन्होंने कहा कि यदि सरकार इस तरह के ट्रेनिंग प्रोग्राम आयोजित कर महिलाओं को प्रशिक्षण दे तो कई महिलाओं को रोजगार भी मिलेगा और उनकी आर्थिक स्थिति भी मजबूत होगी। उन्होंने बताया कि वह एक दिन में एक क्विंटल प्राकृतिक रंग तैयार कर रहे हैं। 100 ग्राम प्राकृतिक रंग की कीमत 25 रुपये रखी गई है।