टिहरी गढ़वाल के धनौल्टी का ये पंचायत भवन, पहाड़ी परंपराओं और स्थानीय व्यापारियों की उम्मीदों का केंद्र कहा जाता है।वादा था इसी पंचायत भवन के जरिए पहाड़ की संस्कृति खान-पान और परिधान को विस्तार देने का, प्लान पुख्ता था। फौरन मंजूरी मिली और लाखों की लागत से धनौल्टी में ये पंचायत भवन बनकर तैयार हो गया। पहाड़ पर पर्यटक पहाड़ी व्यंजनों के बेहतरीन स्वाद से रूबरू हो सकें। इसीलिए पंचायत भवन के भीतर चमचमाता रेस्टोरेंट और किचन बना लेकिन इसके आगे जो हुआ वो सवालों से भरा हुआ है।
धनौल्टी के पंचायत भवन का ये रेस्टोरेंट और किचन यहां बस शो-पीस बनकर रह गया है।
पर्यटकों की भीड़ पहाड़ की खूबसूरत वादियों के बीच आराम से बैठकर पहाड़ी खानपान का आनंद उठा सकें इसीलिए पंचायत भवन में 28 लाख की भारीभरकम लागत सिर्फ इस रेस्टोरेंट और हाइटेक किचन पर ही खर्च की गई थी। लेकिन ना तो कभी रेस्टोरेंट शुरू हो पाया ना ही किचन।
जैसा कि धनौल्टी के कारोबारी विजय राणा बता रहे हैं कि 2020-21 में बनकर तैयार हुए इस हाईटेक रेस्टोरेंट और किचन का फायदा पर्यटकों और स्थानीय लोगों को आज तक नहीं मिल पाया है। आरोप है कि संबंधित विभागों के अफसरों को इस ओर देखने की फुर्सत ही नहीं है।
टिहरी के धनौल्टी में हर साल लाखों की संख्या में पर्यटक आते हैं। देश विदेश से आए पर्यटकों को पहाड़ के परंपरागत खान-पान से जोड़ा जा सके। साथ ही स्थानीय कारोबारियों को रोजगार के मौके मिल सके। इसी मकसद से सरकार की तरफ से इस पंचायत भवन के भीतर ये हाईटेक रेस्टोरेंट और किचन तैयार किया गया था लेकिन पहाड़ी खाने की ब्रान्डिंग और इसके जरिए रोजगार की योजना कभी परवान ही नहीं चढ़ सकी।
स्थानीय लोगों और पर्यटन कारोबार से जुड़े लोगों ने कई बार प्रशासन के अधिकारियों का ध्यान इस ओर दिलाया। पत्र लिखे गए। पंचायत भवन के इस रेस्टोरेंट और किचन को स्थानीय समूह और समिति से जुड़े लोगों को देने की मांग की गई। लेकिन तब भी कोई कदम नहीं उठाया गया। मामला मीडिया में आया तो जवाब जिले के डीएम से मांगा गया। डीएम साहब अब भरोसा दे रहे हैं कि टूरिस्ट सीजन से पहले पंचायत भवन का य़े रेस्टोरेंट और किचन शुरू हो जाएगा।
डीएम अब जल्द सब ठीक होने का वादा कर रहे हैं। लेकिन सवाल तो फिर भी है कि ऐसे वादे की नौबत ही क्यों आई। जब लाखों की लागत से धनौल्टी की उम्मीदों को पूरा करने वाला पंचायत भवन बना। पहाड़ी स्वाद को ब्रांड बनाने के लिए रेस्टोरेंट और किचन बना। तो इसे शुरू करने में देरी क्यों हुई? क्यों कभी अफसरों ने इस ओर गंभीरता से ध्यान नहीं दिया और इलाके के जनप्रतिनिधियों को भी इस ओर देखने की फुर्सत कैसे नहीं मिली?