Rudraprayag News Kedarnath Yatra Route: केदारनाथ धाम पैदल यात्रा मार्ग पर घोड़े- खच्चरों के संचालन और संचालकों पर प्रशासन कड़ी नजर रख रहा है। घोड़े- खच्चरों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए संचालन के लिए निर्धारित नियम और मानकों का पालन नहीं करने वाले 951 घोड़े- खच्चरों को पिछले 32 दिन में ब्लॉक किया गया है, जबकि 3315 घोड़े- खच्चरों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया है। साथ ही, 1086 घोड़े- खच्चरों का इलाज किया गया है। वहीं, 93 घोड़ों को अनफिट पाए जाने पर यात्रा संचालन से बाहर कर दिया गया है। इसके अलावा, नियमों के उल्लंघन पर अब तक 6 घोड़े-खच्चर संचालकों पर मुकदमा भी किया जा चुका है।
Kedarnath Yatra Route पर पंजीकृत हैं 8300 घोड़े-खच्चर
केदारनाथ यात्रा में करीब 8300 घोड़े-खच्चर ही पंजीकृत किए गए हैं। रोटेशन के आधार पर एक दिन में 4000 घोड़े-खच्चर ही यात्रा मार्ग पर संचालित किए जा रहे हैं। हर घोड़े को एक दिन का आराम मिलने के बाद दूसरे दिन संचालन की अनुमति है। इसके अलावा, निर्माण सामग्री, ट्रांसपोर्ट के लिए करीब 1000 घोड़े-खच्चर पंजीकृत हैं, जबकि यात्रा मार्ग में सोन प्रयाग, गौरीकुंड, लिंचोली, रुद्रा पॉइंट पर चार अस्पताल संचालित हैं, जिनमें 07 डॉक्टर्स और 57 पैरा वेट व दो पशुधन प्रसार अधिकारी शामिल हैं। वहीं, प्रसिद्ध ब्रूक्स इंडिया फाउंडेशन के 02 डॉक्टर और 03 पैरा वेट स्टाफ भी अपनी भी सेवाएं दे रहे हैं।
फिटनेस सर्टिफिकेट के आधार पर हुआ पंजीकरण
मुख्य पशु चिकित्सा अधिकारी डॉ. आशीष रावत ने बताया कि यात्रा मार्ग पर स्वस्थ घोड़े-खच्चर ही संचालित हो, इसकी तैयारी यात्रा शुरू होने से पूर्व ही विभाग ने कर ली थी। इसके लिए विभिन्न गांव और कस्बों में जाकर घोड़े-खच्चरों का स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। डॉक्टर्स द्वारा जारी फिटनेस सर्टिफिकेट के आधार पर ही यात्रा के लिए पंजीकरण किया गया है। उन्होंने बताया कि इस साल बेहद फिट घोड़े ही यात्रा मार्ग पर संचालित हो रहे हैं। यह फिटनेस सर्टिफिकेट मात्र दो महीने के लिए मान्य है। दो महीने बाद दोबारा परीक्षण करवा कर फिटनेस सर्टिफिकेट लेना होगा।
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कोटवा गांव में बनेगा आधुनिक सुविधाओं से लैस अस्पताल
डॉ आशीष रावत ने बताया कि कालीमठ रोड स्थित कोटमा गांव में पशुपालन विभाग की भूमि पर करीब 200 घोड़े- खच्चरों की क्षमता वाला आधुनिक सुविधाओं से लैस अस्पताल प्रस्तावित है, जिसका निर्माण कार्य जल्द शुरू होने जा रहा है। वहीं, फाटा में मौजूद पशु अस्पताल में एक समय में करीब 40 घोड़े-खच्चरों का इलाज करने की क्षमता है। यात्रा मार्ग पर घायल या बीमार होने वाले घोड़े-खच्चरों को म्यूल टास्क फोर्स और पर्यावरण मित्र रेस्क्यू कर गौरीकुंड तक लेकर आते हैं, जिसके बाद विभाग के रेस्क्यू वाहन में इन्हें फाटा अस्पताल में पहुंचा कर इलाज दिया जाता है।
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