Rudraprayag News: रुद्रप्रयाग की मदमहेश्वर घाटी सहित विभिन्न क्षेत्रों के 5 युवाओं ने पहली बार चोपता-विसुणीताल-खमदीर-शेषनाग कुण्ड-नन्दीकुण्ड-मदमहेश्वर 78 किमी पैदल ट्रैक की खोजकर नया कीर्तिमान स्थापित किया है। पैदल ट्रैक को खोजने के बाद सभी युवा सकुशल अपने घर लौट गए।
78 किमी पैदल ट्रैक को खोजने में लगा 5 दिन का समय
पांचों युवाओं को इस 78 किमी पैदल ट्रैक की खोज करने में 5 दिन का समय लगा। इस ट्रैक पर 4900 मीटर की ऊंचाई पर अनाम पास है। यहां से चौखम्बा को बेहद नजदीक से देखा जा सकता है। इस पैदल ट्रैक की खोज युवाओं ने गूगल मैप से की है।
पैदल ट्रैक की खोज करने का युवाओं का मुख्य उद्देश्य हिमालय के रास्ते पांचों केदारों की यात्रा को जोड़ना, विसुणीताल को पर्यटक स्थल के रूप में जोड़ना और विसुणीताल-खमदीर-शेषनाग-नन्दीकुण्ड पैदल ट्रैक का विकास करने के साथ ही इसे विशेष पहचान दिलाना है। इस ट्रैक पर खमदीर-शेषनाग का 10 किमी का सफर सबसे खतरनाक है।
युवाओं के अनुसार विसुणीताल-खमदीर व शेषनाग – नन्दीकुण्ड के भूभाग को प्रकृति ने अपने वैभवों का भरपूर दुलार दिया है, जबकि खमदीर के निकट सबसे ऊंचाई पर अनाम पास से चौखम्बा की सफेद चादर को बेहद नजदीक से देखा जा सकता है।
पांचों युवाओं ने किया रिसर्च
पिछले 6 महीने से मदमहेश्वर घाटी, गौण्डार के रहने वाले अभिषेक पंवार और टिहरी, बडियारगढ के रहने वाले विनय नेगी ने डिजिटल रूट बनाने को लेकर रिसर्च की थी। उन्होंने भारतीय सर्वेक्षण विभाग के विभिन्न टोपोग्राफिक सीट, मैप्स, गूगल अर्थ, गूगल मैप, पीक फांडर और गाईया साफ्टवेयर मैप की सहायता ली थी।
युवाओं द्वारा इस यात्रा के लिए दो डिजिटल रूट बनाए गए थे, जिसमें एक मुख्य मार्ग था और दूसरा बैकल्पिक मार्ग। पहले दिन युवाओं की टीम चोपता – मर्तोली- चित्रा वड्यार होते हुए बिसुड़ीताल पहुंची। इस दिन कुल 16 किमी दूरी तय की गयी।
दूसरे दिन युवाओं की टीम बिसुड़ीताल से दवा-मरूड़ा और डगडनिया खाल होते हुए आगे बढ़ी, मगर मौसम खराब होने के कारण ही कैंप करना पड़ा। दूसरे दिन युवाओं की टीम ने कुल 13 किमी की दूरी तय की। तीसरे दिन टीम खमदीर पास (4500मी0) पहुंची और कैंप किया इस दिन कुल 14 किमी की दूरी तय की।
चौथे दिन टीम कैंपिंग स्थल से दो ग्लेशियर पार करते हुए शेषनाग कुण्ड और नंदी कुण्ड होते हुए पाण्डव सेरा पहुंची। चौथे दिन युवाओं ने कुल 14 किमी तक पैदल चले। सभी पांचवें दिन सेरा गाड़ और द्वारी गदेरा को पार करते हुए 22 किमी दूर मदमहेश्वर पहुंचे।
इस पैदल ट्रैक पर इस तरह से यह पहली यात्रा थी, जिसका अभी तक कोई भी मार्ग निर्धारित नहीं हुआ था। इन पांचों युवाओं द्वारा खुद अपना रूट मैप बनाकर यह अभियान सफलतापूर्वक पूरा किया गया।
स्थानीय पर्यटन को मिलेगा बढ़ावा
गौण्डार के रहने वाले अजय पंवार ने बताया कि रुद्रप्रयाग में एडवेंचर टूरिज्म के साथ स्थानीय पर्यटन को बढ़ावा देने के साथ ऐसे अभियानों से पहाड़ की खूबसूरत जगह देश और दुनिया के सामने आएगी। वहीं, पर्वतारोहण और ट्रैकिंग के शौकीन लोगों के लिए भी नये डेस्टिनेशन मिलेंगे।
अगस्तमुनि, डांगी के रहने वाले विपिन सिंह ने कहा कि पंच केदार यात्रा को जोड़ने के लिए कई पैदल ट्रैक है, मगर उन पैदल ट्रैकों को ढूंढ़ने के लिए अदम्य साहस और संसाधन की जरूरत पड़ती है।
टिहरी के बडियारगढ़ के रहने वाले विनय नेगी ने बताया कि विसुणीताल से लेकर खमदीर तक अदभुत नजारा देखने को मिलता है, जिससे मन प्रफुल्लित हो जाता है। हालांकि, मगर इस ट्रैक पर बर्फीली हवाओं का सामना करना जोखिम भरा हो सकता है।
केदार घाटी के बड़ासू के रहने वाले संजय सिंह के मुताबिक, खमदीर से लेकर शेषनाग कुण्ड तक का 10 किमी का सफर पथरीला और जोखिम भरा है। खमदीर के शिखर से मदमहेश्वर घाटी के बर्फ से ढकी पर्वत श्रृखला का अदभुत नजारा कभी नहीं भूलेगा।