Controversy Over Construction Of Kedarnath Temple In Delhi: दिल्ली में केदारनाथ धाम के प्रतीकात्मक मंदिर निर्माण से पूरी केदारघाटी से लेकर जिले की जनता में आक्रोश फैल गया है। जहां केदारनाथ धाम में तीर्थ पुरोहितों ने प्रदर्शन कर अपना गुस्सा जाहिर किया। वहीं मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति ने भी सरकार को चेतावनी दी है।
केदारनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी ने जताया विरोध
केदारनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी शिव शंकर लिंग ने कहा कि केदारनाथ धाम साक्षात हिमालय में बसा हुआ है। इसका अपना महत्व है। इसके बावजूद दिल्ली में जाकर केदारनाथ मंदिर का शिलान्यास करना धर्म के लिए अहित है। केदारनाथ मंदिर की महत्ता और अखण्डता बनी रहनी चाहिए। इसकी धार्मिकता को खराब नहीं किया जाना चाहिए।
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मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति ने भी जताया विरोध
मूल निवास, भू-कानून समन्वय संघर्ष समिति ने भी केदारनाथ मंदिर निर्माण को लेकर अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। समिति के संयोजक मोहित डिमरी ने कहा कि बाबा केदार के नाम से हम सभी की पहचान है और आज इसी पहचान को खत्म करने की साजिश हो रही है। इसे किसी भी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। इसका कड़ा विरोध किया जाएगा।
बीजेपी-कांग्रेस में जुबानी जंग जारी
इस मामले में भाजपा जिलाध्यक्ष महावीर पंवार ने कहा कि दिल्ली में केदारनाथ मंदिर का विरोध करना दुर्भाग्यपूर्ण है। केदारनाथ धाम रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है, यहां भगवान शंकर ग्यारहवें ज्योतिलिंग के रूप में पूजे जाते हैं। दिल्ली में बन रहा मंदिर सिर्फ प्रतीकात्मक है। इससे सनातन धर्म का प्रचार-प्रसार तेजी के साथ होगा। उन्होंने कहा कि बाबा केदारनाथ धाम की कॉपी करना मुश्किल है। वर्ष 2015 में तत्कालीन मुख्यमंत्री हरीश रावत और तत्कालीन बीकेटीसी अध्यक्ष गणेश गोदियाल ने मुम्बई के बसई में बद्रीनाथ मंदिर निर्माण का शिलान्यास किया था, लेकिन उस समय भाजपा ने इसको लेकर कोई विरोध नहीं किया और आज जब धर्म का प्रचार करने को लेकर दिल्ली में केदारनाथ धाम का प्रतीकात्मक मंदिर निर्माण किया जा रहा है तो कांग्रेस को हजम नहीं हो रहा है।
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