Padma Shri Award: डॉ. कठोच ने 33 वर्षों तक शिक्षक के रूप में अपनी सेवाएं दी हैं। इसके साथ ही वह इतिहास एवं पुरातत्व के क्षेत्र में लंबे समय से योगदान दे रहे हैं। डॉ. यशवंत सिंह ने बताया कि उन्हें अपनी मेहनत का फल प्राप्त हुआ है और लंबे समय से इतिहास और पुरातत्व के क्षेत्र में लेख लिख रहे हैं। अब तक उनकी 12 पुस्तकें छप चुकी हैं और अन्य पुस्तक भी जल्द छपकर उपलब्ध हो जाएंगी।
उन्होंने कहा कि पद्मश्री मिलने का श्रेय वह अपने परिवार और अपनी धर्मपत्नी को देते हैं क्योंकि उन्होंने उनका हर परिस्थिति में साथ दिया है और हमेशा ही उनका मनोबल बढ़ाया है। ऐसे में जिस तरह से आज उनके परिवार और उनके ग्रामीणों ने उनके लिए सम्मान समारोह का आयोजन किया है, वह सभी लोगों के आभारी हैं। वह युवा पीढ़ी से भी अपील करते हैं कि वह अधिक से अधिक किताबों को पढ़ें क्योंकि समाज में ज्ञान अर्जित करने के लिए पुस्तकों की अपनी महत्वता है, चाहे वह इतिहास से जुड़ी हो, पुरातत्व से या अन्य किसी विषय से जुड़ी हो। असली ज्ञान अर्जित करने के लिए पुस्तकों को पढ़ना जरूरी है।
डॉ. यशवंत कठोच उत्तराखंड के पौड़ी जिले के रहने वाले हैं। उन्होंने 33 वर्षों तक शिक्षक के रूप में सेवाएं दी, और प्रधानाचार्य के पद से रिटायर हुए। डॉ. कठोच इतिहास और पुरातत्व के क्षेत्र में लंबे समय से योगदान दे रहे हैं। डॉ. कठोच भारतीय संस्कृति, इतिहास एवं पुरातत्व के क्षेत्र में निरंतर शोध कर रहे हैं। वह वर्ष 1973 में स्थापित उत्तराखंड शोध संस्थान के संस्थापक सदस्य हैं।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने 22 अप्रैल को उत्तराखंड के प्रसिद्ध इतिहासकार डॉ. यशवंत सिंह कठोच को दिल्ली स्थित राष्ट्रपति भवन में आयोजित कार्यक्रम में पद्मश्री से सम्मानित किया था। उन्हें यह सम्मान शिक्षा, इतिहास और पुरातत्व के क्षेत्र में अमूल्य योगदान देने के लिए दिया गया है।