Bhupendra Negi: लद्दाख में T-72 टैंक को श्योक नदी पार करवाते समय भारतीय सेना के 5 जवान जलस्तर बढ़ने के कारण शहीद हो गए। इन जवानों में एक शहीद डीएफआर भूपेंद्र नेगी उत्तराखंड के पौड़ी जिले के पाबौ ब्लॉक के रहने वाले थे। उनकी शहादत की खबर जानने के बाद बिशल्ड गांव में मातम छा गया है।
Bhupendra Negi के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल
भूपेंद्र नेगी अपने पीछे अपनी तीन बहन, पिता और पत्नी समेत 2 बेटी और 1 बेटे को छोड़ दुनिया को अलविदा कह गए। वे 38 साल के थे। भूपेंद्र का परिवार देहरादून में रहता है। भूपेंद्र को अंतिम विदाई देने वे गांव पहुंच गए, जहां उनका रो-रोकर बुरा हाल है।
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18 साल से सेना में थे Bhupendra Negi
भूपेंद्र 18 साल से सेना में सेवा दे रहे थे, उनकी प्रारंभिक पढ़ाई गांव के राजकीय प्राथमिक विद्यालय बिशल्ड में हुई, जबकि इंटरमीडिएट की पढ़ाई उन्होंने राजकीय इंटरमीडिएट पाबौ से की और फिर वे देश की सुरक्षा के लिए भारतीय सेना का हिस्सा बन गए। शहीद भूपेंद्र खुश मिजाज सैनिक थे। उनका सोशल मीडिया अकाउंट इसकी गवाही दे रहा है।
जुलाई में गांव आए थे भूपेंद्र नेगी
बीते साल जुलाई में ही भूपेंद्र गांव आए थे और अपने प्रमोशन की खबर दोस्तों को सुनाई थी, जिस पर दोस्तों ने उन्हे बधाई दी, लेकिन उनके दोस्तों को नही पता था कि भूपेंद्र नेगी आखिरी बार गांव आए हैं। इससे बाद उनके शहादत की खबर ही गांव तक पहुंची। ग्रामीणों को अब भी अहसास नहीं हो रहा कि भूपेंद्र उन्हें अलविदा कह गया।
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सैन्य सम्मान के साथ पाबौ घाट में दी जाएगी अंतिम विदाई
शहीद जवान भूपेंद्र नेगी के शहीद होने से उनके परिवार और ग्रामीणों का रो-रोकर बुरा हाल है। भूपेंद्र का पार्थिव शरीर कल उनके गांव पहुंचेगा, जहां सैन्य सम्मान के साथ पाबौ घाट में उन्हें अंतिम विदाई दी जाएगी। शहीद का गांव आज भी पक्की सड़क से नहीं जुड़ पाया है।