Sawan Somwar 2024 Daksheshwar Mahadev Temple: सावन का आज तीसरा सोमवार है। भगवान शिव के मंदिरों में सुबह से भोलेनाथ के भक्तों भी भारी भीड़ लगी हुई है। वैसे तो सावन का हर दिन पवित्र माना जाता है लेकिन इस पूरे माह पड़ने वाले हर सोमवार का विशेष महत्व होता है। सावन के तीसरे सोमवार को दक्षेश्वर महादेव मंदिर पर श्रद्धालुओं की जमकर भीड़ उमड़ रही है। शिव की ससुराल दक्षेश्वर महादेव मंदिर में सावन और सोमवार को जलाभिषेक करने से सभी की मनोकामना पूरी होती है। भक्तों की ऐसी मान्यता है कि सावन के माह में भगवान शिव कनखल में ही विराजते हैं।
अपनी ससुराल से सृष्टि का संचालन करते हैं महादेव (Sawan Somwar 2024)
भगवान शिव सावन के पूरे महीने अपनी ससुराल कनखल स्थित दक्षेश्वर प्रजापति में ही निवास करते हैं और यहीं से सृष्टि का संचालन और लोगों का कल्याण करते हैं। ऐसे में भगवान शंकर का जलाभिषेक किया जाए तो वे प्रसन्न होते हैं और वे सभी मुरादें पूरी करते हैं। हरिद्वार के दक्षेश्वर महादेव मंदिर समेत अन्य शिवालयों में भी भोले के भक्त भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए उमड़ रहे हैं और भोलेशंकर का जलाभिषेक कर रहे हैं। भगवान शिव की ससुराल कनखल के दक्षेश्वर महादेव मंदिर में तो सुबह से ही श्रद्धालुओं की कतार लगी हुई है। सावन के तीसरे सोमवार पर बड़ी संख्या में शिवभक्त यहां भगवान शंकर को प्रसन्न करने आ रहे हैं। हालांकि कांवड़ मेला सम्पन्न हो गया है, मगर भोले के भक्तों का उत्साह और श्रद्धा आज भी पहले जैसी है।
सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं महादेव (Sawan Somwar 2024)
दक्षेश्वर महादेव मंदिर के मुख्य पुजारी स्वामी विशेश्वर पुरी का कहना है कि सावन के महीने में शिव की अराधना का खास महत्व माना जाता है क्योंकि सोमवार का दिन भोले शिव को बहुत पंसद होता है। ऐसी मान्यता है कि सावन में सोमवार के दिन जलाभिषेक करने से शिव जल्द ही प्रसन्न हो जाते हैं। मुख्य पुजारी ने कहा कि यह भगवान शंकर की ससुराल है। यहां हर सोमवार को गंगाजल, दूध-दही, शहद, धतूरा, घी, भांग आदि से अभिषेक करने का महत्व है। श्रवण नक्षत्र में ही मां गंगा भगवान शिव की जटाओं में आईं थी, इसलिए श्रावण मास में भगवती गंगा के जल का महादेव के ऊपर अभिषेक का विशेष महत्व है। भगवान शंकर ने दक्षेश्वर महादेव के रूप में एक माह स्वयंभू लिंग के रूप में रहने का वचन दिया था और सावन में उनके द्वारा किए गए वायदे के अनुरूप भगवान शंकर दक्षेश्वर महादेव यानी अपनी ससुराल हरिद्वार में रहते हैं। भगवान शंकर ने देवताओं और मां लक्ष्मी को वरदान दिया था कि सती की कमी को पूरा करने के लिए वह सावन के माह में यही निवास करेंगे और वह यहां कटे हुए सिर के रूप में विराजमान है और जो भी सावन के महीने में शिव का जलाभिषेक करता है, भगवान शंकर उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी करतें हैं।
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