Himalayan Viagra: देवभूमि उत्तराखंड के हिमालयी क्षेत्रों में बेशुमार बेशकीमती जड़ी-बूटियों का भंडार है। जिसका दोहन अब तेजी से होने लगा है। वहीं हिमालयन वियाग्रा के नाम से मशहूर कीड़ा जड़ी (Keeda Jadi in Uttarakhand) की काफी मांग है। इसे कई बीमारियों का रामबाण इलाज माना जाता है।
सरकार को करोड़ों का हो रहा नुकसान (Himalayan Viagra)
वन विभाग पिछले सात साल में एक ग्राम भी कीड़ा जड़ी नहीं खरीद कर सका है। इससे हर साल सरकार को करोड़ों के राजस्व का नुकसान हो रहा है। हर साल धारचूला, मुनस्यारी के उच्च हिमालयी बुग्यालों में कीड़ा जड़ी के दोहन के लिए सैकड़ों परमिट जारी हो रहे हैं लेकिन वन विभाग की झोली हमेशा खाली रहती है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर कीड़ा-जड़ी कहां जा रही है। ऐसी आशंका जताई जा रही है कि विभागीय कर्मचारियों की मिली भगत से कीड़ा-जड़ी की तस्करी हो रही है। हिमालयन वियाग्रा के नाम से विख्यात कीड़ा जड़ी के कारोबार को वैध बनाने के लिए सरकार ने 8 अक्तूबर 2018 को यार्सा गंबू कीड़ा जड़ी संग्रहण, विदोहन एवं रॉयल्टी की प्रक्रिया निर्धारित की थी।
तस्करी के कई मामले आए सामने (Himalayan Viagra)
वन विभाग के परमिट पर ही इसका दोहन किया जा सकता है। कीड़ा जड़ी के दोहन के बाद प्राप्त मात्रा की जानकारी वन विभाग में देनी होगी। लेकिन सात साल में एक भी बार दोहन की जानकारी नहीं मिली। जबकि इस दौरान तस्करी के कई मामले सामने आए। रविवार को ही धारचूला में एक किग्रा कीड़ा जड़ी पकड़ी गई है। इस बार धारचूला वन रेंज के तहत 372 परमिट जारी किए गए। जबकि मुनस्यारी वन क्षेत्रधिकारी विजय भट्ट के अनुसार उनके यहां भी 41 परमिट जारी किए गए थे। इस बार भी किसी परमिट धारक ने कीड़ा जड़ी के संबंध में जानकारी नहीं दी। वन विभाग भी परमिट जारी करने के बाद कोई सुध नहीं लेता। स्थानीय लोगों के मुताबिक 30000 से अधिक लोग कीड़ा जड़ी के कारोबार से जुड़े हैं।
नेपाल से होती है तस्करी (Himalayan Viagra)
सूत्रों के मुताबिक नेपाल से भी भारी मात्रा में इसकी तस्करी की खबरें सामने आती रहती हैं। इस लिहाज से देखा जाए तो उत्तराखंड के उच्च हिमालय में मौजूद यह बेशकीमती संपदा चीन के निशाने पर हो सकती है और उत्तराखंड के इन पहाड़ी क्षेत्रों से चीन कीड़ा जड़ी को चुराने की कोशिश कर सकता है।
नीलामी के जरिए बेचने का है प्रावधान (Himalayan Viagra)
कीड़ा जड़ी की सरकारी खरीद नीलामी प्रक्रिया से होती है। खरीदारी करने वालों को डीएफओ कार्यालय में पंजीकरण करवाना पड़ता है। परमिट लेने वाले लोग जब बुग्यालों से प्राप्त कीड़ा जड़ी के वजन की जानकारी विभाग को देते हैं, तब विभाग खरीद के लिए पंजीकरण कराने वालों को आमंत्रित कर नीलामी कराता है। सबसे अधिक दाम लगाने वाले ठेकेदार को कीड़ा जड़ी बेची जाती है। ठेकेदार इसे देश में कहीं भी बेच सकता है। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बिक्री के लिए कस्टम विभाग से भी अनुमति प्राप्त करनी होती है।
कम कीमत देता है वन विभाग (Himalayan Viagra)
स्थानीय स्तर पर ही कीड़ा जड़ी के लिए औसतन 12 लाख रुपये प्रति किलो तक लोगों को आसानी से मिल जाते हैं। जबकि वन विभाग से इसकी आधी कीमत भी मिलना काफी मुश्किल होता है। वर्ष 2023-24 में कीड़ा जड़ी दोहन के लिए 372 परमिट जारी किए गए थे। किसी ने भी वापस आकर प्राप्त कीड़ा जड़ी की जानकारी नहीं दी है। विभाग अवैध तस्करी पर रोक लगाने के लिए गंभीरता से काम कर रहा है।
यहां मिलती है बेशकीमती जड़ी (Himalayan Viagra)
उत्तराखंड के कई जिलों में इसकी उपलब्धता रहती है। इनमें उत्तरकाशी, पिथौरागढ़, चमोली, चंपावत और बागेश्वर जिले शामिल हैं। सबसे ज्यादा पिथौरागढ़ जिले में इसकी उपलब्धता है और यहां कई गांवों की आर्थिकी भी इससे सीधे तौर पर जुड़ी हुई है। माना जाता है कि सीजन में कई गांव इसी की बदौलत अपनी रोजी-रोटी चलाते हैं।
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