Uttarakhand High Court Big Decision For Transgenders: उत्तराखंड की हाई कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसला दिया है। कोर्ट ने राज्य शिक्षा बोर्ड के उस फैसले को पलट दिया, जिसमें ट्रांसजेंडर व्यक्ति के शैक्षणिक प्रमाणपत्रों में नाम और लिंग बदलने से इनकार कर दिया था।
एकल पीठ ने सुनाया फैसला
देहरादून में न्यायमूर्ति मनोज कुमार तिवारी की एकल पीठ ने बुधवार को यह फैसला सुनाया। पीठ श्रेयांस सिंह बिष्ट की याचिका पर सुनवाई कर रही थी। बता दें कि याचिकाकर्ता का नाम पहले सीमा बिष्ट था। उन्होंने 2020 में सर्जरी कराकर अपना नाम और लिंग बदल लिया।
याचिकाकर्ता के नए नाम को आधार कार्ड और जिला मजिस्ट्रेट की तरफ से जारी प्रमाण पत्र के माध्यम से मान्यता मिल गई है। इसके बावजूद उत्तराखंड स्कूल शिक्षा बोर्ड ने उनके शैक्षिक प्रमाण पत्रों को अपडेट करने के अनुरोध को खारिज कर दिया। बोर्ड का कहना था कि यह अनुरोध विनियमन 27 के प्रावधानों के अंतर्गत नहीं आता है।
याचिकाकर्ता के वकील ने क्या कहा?
श्रेयांस के वकील का कहना है कि याचिकाकर्ता का नाम और लिंग पहले ही कानूनी रूप से बदल दिया गया है। आधिकारिक दस्तावेजों में भी इसे मान्यता प्राप्त है। जिला मजिस्ट्रेट ने याचिकाकर्ता को प्रमाण पत्र और पहचान पत्र भी जारी किया। इसलिए बोर्ड द्वारा अनुरोध को खारिज करना अस्थिर है।
बोर्ड के वकील ने दिया यह तर्क
बोर्ड के वकील ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ता के अनुरोध को स्वीकार नहीं किया जा सकता है, क्योंकि मौजूदा नियमों के मुताबिक, बदलाव तभी संभव है, जब नाम अश्लील या अपमानजनक है। याचिकाकर्ता के साथ ऐसी स्थिति नहीं है।
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मामले में सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने बोर्ड के 18 अगस्त 2021 के आदेश को रद्द कर दिया। अदालत ने स्कूल शिक्षा विभाग के सचिव को ट्रांसजेंडर व्यक्ति अधिनियम 2019 के अनुरूप विनियमन 27 में प्रस्तावित संशोधनों पर तीन हफ्ते के भीतर निर्णय लेने का निर्देश दिया।