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RSS के कार्यक्रमों में अब शामिल हो सकेंगे सरकारी कर्मचारी, आदेश जारी

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के कार्यक्रमों में अब उत्तराखंड के सरकारी कर्मचारी भी शामिल हो सकेंगे। इस संबंध में आदेश जारी कर दिया गया है।
Uttarakhand government employees can participate in RSS programs

उत्तराखंड के सरकारी कर्मचारी अब राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) के कार्यक्रमों में शामिल हो सकेंगे। धामी सरकार ने इसकी इजाजत दे दी है। यह उत्तराखंड राज्य कर्मचारी आचरण नियमावली 2002 का उल्लंघन नहीं माना जाएगा।

अपर मुख्य सचिव ने जारी किया आदेश

धामी सरकार के मुताबिक, आरएसएस की सुबह और शाम की बैठकों या अन्य सांस्कृतिक गतिविधियों में सरकारी कर्मचारी शामिल हो सकेंगे। अपर मुख्य सचिव आनंद वर्धन ने इस संबंध में आदेश जारी कर दिए हैं। हालांकि, यह शर्त भी है कि इससे आधिकारिक कर्तव्यों और जिम्मेदारियों में कोई बाधा उत्पन्न न हो।

उत्तराखंड राज्य कर्मचारी आचरण नियमावली 2002 का नहीं होगा उल्लंघन

अपर मुख्य सचिव ने 5 सितंबर को लिखे एक पत्र में कहा कि राज्य सरकार ने विचार-विमर्श करने के बाद यह निर्णय लिया है कि आरएसएस की शाखा और अन्य सांस्कृतिक/सामाजिक गतिविधियों में सरकारी कर्मचारियों के शामिल होने को उत्तराखंड राज्य कर्मचारी आचरण नियमावली 2002 का उल्लंघन नहीं माना जाएगा।

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आनंद वर्धन ने कहा कि सरकारी कर्मचारी आरएसएस की शाखा और अन्य कार्यक्रमों में इस शर्त पर शामिल हो सकते हैं कि इससे उनके आधिकारिक कर्तव्यों और जिम्मेदारियों में कोई बाधा उत्पन्न न हो। इन कार्यक्रमों में सरकारी कार्यालय के समय से पहले या बाद में ही शामिल हो सकते हैं।

58 साल पहले जारी आदेश को सरकार ने लिया वापस

बता दें कि कार्मिक मंत्रालय ने एक आदेश जारी किया था। इसमें सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस के कार्यक्रमों में शामिल होने की इजाजत नहीं थी। इसे लेकर भाजपा और विपक्ष में जमकर नोकझोंक हुई थी। हालांकि, अब 58 साल पहले जारी इस आदेश को केंद्र सरकार ने वापस ले लिया है।

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बीजेपी नेता अमित मालवीय ने बताया कि 1966 में जारी असंवैधानिक आदेश में आरएसएस के कार्यक्रमों में शामिल होने वाले सरकारी कर्मचारियों पर बैन लगाया गया था। अब इसे मोदी सरकार ने वापस ले लिया है।

30 नवंबर 1966 को लगा बैन

मालवीय ने बताया कि आरएसएस ने 7 नवंबर 1966 को संसद में गोहत्या के खिलाफ एक बड़े विरोध प्रदर्शन में लाखों लोगों का समर्थन जुटाया था। इस दौरान पुलिस गोलीबारी में कई लोगों की मौत हो गई थी, जिसके बाद 30 नवंबर 1966 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने सरकारी कर्मचारियों के आरएसएस के कार्यक्रमों में शामिल होने पर बैन लगा दिया।


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