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उत्तराखंड में इस साल नहीं होंगे पंचायत चुनाव, जानें वजह

Panchayat Elections in Uttarakhand: उत्तराखंड में इस साल पंचायत चुनाव नहीं होंगे, जबकि पंचायतों का कार्यकाल नवंबर में खत्म हो रहा है। इसकी वजह क्या है, आइए जानते हैं...
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Uttarakhand Panchayat Elections: उत्तराखंड में इस साल पंचायत चुनाव नहीं होंगे और न ही पंचायतों का कार्यकाल बढ़ाया जाएगा। पंचायतों का कार्यकाल अगले महीने 27 नवम्बर को खत्म हो रहा है। सीएम पुष्कर सिंह धामी ने शासन से 20 अक्टूबर तक त्रिस्तरीय पंचायतों के चुनाव को लेकर रिपोर्ट मांगी थी।

मिली जानकारी के मुताबिक, ग्राम पंचायत वार्ड 59,219 से बढ़कर 59,357 और जिला पंचायत की सीटें 385 से बढ़कर 389 हो गई है। हालांकि, क्षेत्र पंचायतों की संख्या 3,162 से घटकर 3,157 हो गई है। बताया जाता है कि शहरी विकास विभाग ने कुछ निकायों का विस्तार किया है, जबकि कुछ ग्राम पंचायतों को नगर पालिका क्षेत्र से बाहर कर दिया गया है।

नए सिरे से होगा परिसीमन

बताया जाता है कि चमोली, चंपावत, नैनीताल और उधमसिंह नगर के कुछ क्षेत्रों में नए सिरे से परिसीमन होगा। इससे इन जिलों में ग्राम, क्षेत्र और जिला पंचायत की सीटों में इजाफा या कमी हो सकती है।

पंचायती राज विभाग के संयुक्त निदेशक मनोज तिवारी ने बताया कि परिसीमन के बाद शहरी निकायों में कुछ गांव शामिल हो गए हैं, जबकि कुछ निकायों से बाहर हो गए हैं। बताया जाता है कि वोटर लिस्ट का भी अगले साल जनवरी तक पुनरीक्षण किया जाना है, जिसके बाद नए सिरे से मतदाता सूची तैयार की जाएगी। ऐसे में अगले साल फरवरी-मार्च के बाद ही चुनाव हो सकता है। वहीं, एक्ट में पंचायतों का कार्यकाल बढ़ाने को लेकर भी कोई व्यवस्था नहीं की गई है।

पंचायत प्रतिनिधियों को बनाया जा सकता है प्रशासक

अधिकारियों के मुताबिक, सरकार चाहे तो पंचायत प्रतिनिधियों को अधिकतम छह महीने के लिए प्रशासक बना सकती है। एक्ट के प्रावधान के मुताबिक, व्यक्ति या व्यक्तियों के समूह को प्रशासक नियुक्त किया जा सकता है। जिला पंचायतों में डीएम के साथ जिला पंचायत अध्यक्ष को, ब्लॉक में एसडीएम के साथ क्षेत्र प्रमुख को और ग्राम पंचायतों में एडीओ पंचायत के साथ ग्राम प्रधान को प्रशासक बनाया जा सकता है।

पंचायत प्रतिनिधियों की क्या मांग है?

पंचायत प्रतिनिधियों की मांग है कि पंचायतों का दो साल का कार्यकाल बढ़ाते हुए 12 जिलों में हरिद्वार जिले के साथ 2027 में एक साथ पंचायत चुनाव कराए जाएं। ऐसा कर एक राज्य एक पंचायत चुनाव के सिद्धांत को लागू किया जा सकता है। राज्य में पहले भी अधिसूचना जारी कर पंचायतों का कार्यकाल बढ़ाया जा चुका है।

पंचायत निदेशालय की ओर से शासन को भेजी रिपोर्ट में बताया गया है कि हरिद्वार को छोड़कर सभी जिलों में ग्राम, क्षेत्र और जिला पंचायतों का परिसीमन किया गया है। ग्राम पंचायतों के परिसीमन के बाद ग्राम पंचायतों की संख्या 7,796 से बढ़कर 7,823 हो गई है।


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