Rishikesh Karnaprayag Rail Line Project: हिमालयी राज्य उत्तराखंड की ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन परियोजना अंतिम चरण पर है। इसी वर्ष दिसंबर से रेल निगम नई ब्लास्ट-लेस तकनीक पर आधारित पटरियां बिछाने का काम शुरू करने जा रहा है, जो कि पूरी तरह आरसीसी स्लैब पर आधारित हैं। इस प्रकार का रेलवे ट्रैक यूरोप, चीन और जापान में हाई स्पीड रेल नेटवर्क में उपयोग किया जाता है।
रेल विकास निगम के प्रबंधक अजीत यादव ने कहा कि ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल लाइन कुल 125 किमी की है, जिसमें अब तक करीब 85 किमी की टनल की खुदाई हो चुकी है। जबकि 16 किलोमीटर सुरंग खुदाई का काम बचा है, जो संभवत 2025 के शुरूआती तीन महीनों के भीतर पूरा कर लिया जाएगा। रेल निगम पटरियां बिछाने का काम दिसंबर से शुरू करने जा रहा है।
ट्रैक बिछने की शुरुआत ऋषिकेश और उसके आगे बने चार टनलों से होगी। रेल निगम प्रबंधक ने कहा कि काम बहुत तेजी से होगा और प्रयास रहेगा कि अगले एक साल के भीतर ट्रॉयल शुरू कर दिया जाएगा।
तीन कंपनियों को मिला ट्रैक बिछाने का जिम्मा
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेल परियोजना में पटरियां बिछाने का काम तीन कंपनियों को दिया गया है। भारतीय रेल के साथ ही दो अन्य कंपनी पारस और पीसीएम कंपनी ट्रैक बिछाने का काम करेंगी, जिसमें ट्रैक डिजाइनिंग का काम शुरू कर दिया गया है। जिसके बाद चरणबद्ध तरीके से हर फेस में कंपनियां हाई स्पीड ट्रैक बिछाएंगी।
ऋषिकेश-कर्णप्रयाग रेलवे लाइन पर कुल 13 स्टेशन हैं। इनमें वीरभद्र और योगनगरी रेलवे स्टेशन का कार्य पूर्ण हो चुका है। योगनगरी रेलवे स्टेशन ऋषिकेश पूरी तरह बन चुका है। चंद्रभागा नदी के आगे रेलवे ट्रैक बिछ चुका है।
इनके अलावा शिवपुरी, ब्यासी, देवप्रयाग, जनासू, मलेथा, श्रीनगर, धारीदेवी, तिलनी, घोलतीर, गौचर व सिंवई (कर्णप्रयाग) में स्टेशन हैं। पूरी रेललाइन पर 16 मुख्य और 12 सहायक सुरंगें बनाई गई हैं। यानी पूरी लाइन पर 16 पुल हैं।
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